यूपी: जातीय समीकरण आधार बने तो इस वर्ग का होगा बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष
-जल्द ख़त्म होगा यूपी बीजेपी के अध्यक्ष के नाम से सस्पेंस
-इन समीकरणों का रखा जाएगा विशेष ध्यान, यूपी को जल्द मिलेगा 14वां प्रदेश अध्यक्ष
-जल्द ख़त्म होगा यूपी बीजेपी के अध्यक्ष के नाम से सस्पेंस
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए योग्य उम्मीदवार की तलाश कर रही है। यूपी बीजेपी अध्यक्ष के चयन के लिए प्रदेश से लेकर केंद्र के पधाधिकारी नामों पर मंथन कर रहे है। प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर सस्पेंस की स्थिति ऐसी हो गई है की कार्यकर्ताओं के साथ जनता भी भाजपा आला कमान के निर्णय का बेसब्री से इंतजार कर रही है। वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चूका है। ऐसे में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत मानने वाली भाजपा 2024 के चुनाव को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति किस आधार पर करेगी इसपर भी सभी दलों की निगाहें टिकी हुई है। वरिष्ठ पत्रकार रतन मणिलाल ने भाजपा के निर्णय लेने के तरीके पर विस्तार से जानकारी दी है। साथ ही उन्होंने भाजपा किस आधार पर यूपी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकती है इस बारे में भी जानकारी दी।
निर्णय में क्यों लग रहा इतना समय
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणिलाल ने बताया कि भाजपा अहम पदों पर नियुक्ति के लिए हमेशा से ही कुछ ज्यादा समय लेती है। वर्तमान में भी भाजपा में यूपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मंथन चल रहा है। उन्होंने कहा वर्तमान में भाजपा में ऐसे नेताओं की कोई कमी नहीं है, जोकि इस पद के लिए मजबूत दावेदारी पेश ना कर रहे हो। उन्होंने कहा भाजपा ने संघठन में कई बड़े फेरबदलों के साथ कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी अचानक बदले हैं। और क्योंकि इस बार सवाल यूपी से जुड़ा है तो बीजेपी कोई भी चांस नहीं लेना चाहेगी। उन्होंने कहा योगी सरकार के रिपीट होने के बाद कई बार इस विषय पर केंद्रीय नेतृत्व के पदाधिकारी बैठक में हिस्सा लेने लखनऊ पहुंचे हैं। विधायक और सांसदों से इस विषय पर उनकी राय भी ली गई है। ऐसे में भाजपा किसी ऐसे उम्मीदवार को नियुक्त करेगी जोकि भाजपा को यूपी में और मजबूत करने का मादा रखता हो।
किस वर्ग से हो सकता है नया प्रदेश अध्यक्ष ?
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणिलाल ने बताया कि यूपी में जातीय समीकरण एक विशेष महत्व रखता है। ऐसे में भाजपा किसी ऐसे उम्मीदवार का चयन कर सकती है, जोकि 2024 के चुनाव में भाजपा को बढ़त दिलाए। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा भाजपा किसी ऐसे वर्ग से जुड़े नेता को मौका दे सकती है, जिस वर्ग का प्रतिनिधित्व लंबे समय से ना हुआ हो। उन्होंने कहा भाजपा किसी ऐसे वर्ग के नेता को भी मौका दे सकती है, जिसमें पैठ बनाना अभी बाकी है। उन्होंने कहा पिछड़े वर्ग से आने वाले कई समुदाय अभी भी भाजपा से नाराज हैं, इसलिए भाजपा उनको खुश करने के लिए उनके बीच के किसी नेता को ये जिम्मेदारी सौंप सकती है। जैसा कि भाजपा ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार एक आदिवासी वर्ग से बनाया। कुछ इसी तरह भाजपा उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए कर सकती है।
14वें प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार
2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा ने अपने 2019 के रिकॉर्ड को तोड़ने का दावा किया है। स्वतंत्रदेव सिंह को यूपी भाजपा का 13वां प्रदेश अध्यक्ष 16 जुलाई, 2019 को नियुक्त किया गया था। वहीं अपना कार्यकाल ख़त्म कर स्वतंत्रदेव 5वें ऐसे प्रदेश अध्यक्ष बने, जिन्होंने तीन साल का अपना कार्यकाल पूरा किया हो। स्वतंत्रदेव सिंह के तीन साल के कार्यकाल में 2019 में विधानसभा की 11 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने आठ सीटों पर रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी। साथ ही 2020 में विधानसभा की सात सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को छह सीटों पर जीत मिली। 2021 में हुए पंचायत चुनाव में 75 में से 67 जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा के चुने गए। विधानसभा चुनाव 2022 में भी भाजपा गठबंधन ने 273 सीटों के साथ दोबारा सरकार बनाई। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भी भाजपा ने जीत दर्ज की। कुछ इसी तरह के बेहतीन रणनीतिकार प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार कार्यकर्त्ता कर रहे हैं।