
यूपी इलेक्शन 2022 : उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 6 माह से भी कम का समय बचा है ऐसे में तमाम सियासी दल अपनी रणनीति तैयार करने में लगे। कोई गठबंधन का ऐलान कर रहा है तो कोई नया सियासी साथी खोज रहा है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में सियासी 3 वर्षों से कई चुनाव साथ लड़ने के बाद इस बार के चुनाव में आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव में तालमेल बैठ नहीं रहा है। जयंत चौधरी ने कहा कि किसी भी हाल में वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर जयंत चौधरी ने कहा कि 2022 चुनाव की बात हम 2022 में करेंगे। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या चुनाव नजदीक आने पर जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी के साथ कोई गणित खेलेंगे या अधिक सीटों की मांग को लेकर वह कोई स्ट्रेटेजी है।
आपको बता दें कि 2018 के लोकसभा की सीटों के उपचुनाव हो रहे थे तब समाजवादी पार्टी और आईडी के गठबंधन ने कमाल किया था क्योंकि उपचुनाव में कैराना सीट से आरएलडी जीत गई थी। वही आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी का बसपा के साथ गठबंधन होने के बावजूद भी समाजवादी पार्टी ने अपने कोटे की 3 सीटें राष्ट्रीय लोक दल को चुनाव लड़ने के लिए दे दी थी।
सीटों का अभी कोई बंटवारा नहीं -अनिल दुबे
राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता अनिल दुबे ने बताया कि 2022 विधानसभा चुनाव में सीटों को लेकर अभी समाजवादी पार्टी और आरएलडी में कोई बातचीत नहीं हुई है। वही प्रदेश में सभी चुनाव से पहले आईडी और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन का ऐलान चुनाव से काफी पहले कर दिया जाता है।
बीजेपी ने बताया अखिलेश -जयंत को विरासत की सियासत
भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश यादव और जयंत चौधरी को विरासत की सियासत करार दिया है। पार्टी ने कहा कि ये दोनों विरासत की सियासत की ही राजनीति करते हैं इन दोनों ने ही अपनी पार्टी को पतन के कगार पर खड़ा कर दिया है यह चाय एक साथ हैं चाहे अलग-अलग इन लोगों का पतन इस बार निश्चित है।