
लखनऊ : आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी बड़े स्तर पर बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी का कार्य कर रही है। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव जब अखिलेश और मायावती ने आपस में गठबंधन किया था तब उन्होंने नारा दिया था और बबुआ कया अटूट और अजय है लेकिन परिणाम आने के बाद हकीकत कुछ और ही निकली।
आपको बता दें कि लगाता पिछले कुछ महीनों से बसपा के दिग्गज नेता सपा में शामिल हो रहे हैं और मैं घाटमपुर से विधायक आरपी कुशवाहा पूर्व कैबिनेट मंत्री केके गौतम सहारनपुर से सांसद कादिर राणा बसपा के पूर्व अध्यक्ष आर एस कुशवाहा पहले ही बसपा में शामिल हो चुके हैं वहीं बीते दिन लालजी वर्मा और राम अचल राजभर भी ने सपा का दामन थाम लिया है। इन सब दिग्गज नेताओं के सपा में शामिल होने के बाद अब बसपा में एक बिखरती हुई थाल के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि लाल जी वर्मा को कुर्मी समाज का बड़ा नेता माना जाता है जबकि राम अचल राजभर को अपने समाज में उनका एक बड़ा कद है।
एक रणनीति के तहत काम कर रहे हैं अखिलेश
बता दें कि कुछ जानकारों का कहना है कि अखिलेश की एक सोची समझी रणनीति है। जानकारों ने बताया कि सपा प्रमुख ने स्थानीय समुदाय विशेष के नेताओं के सहारे अपने वोट बैंक को मजबूत करने में लगी है। यही कारण है कि उन्होंने अपने रथ यात्रा में प्रदेश अध्यक्ष उत्तम को याद भेजा है जबकि बैकवर्ड समाज के नेता राजपाल कश्यप स्वाभिमान यात्रा पर हैं। समाज पार्टी या दिखाना चाहती हैं कि सपा का प्रचार केवल अखिलेश केंद्रित नहीं हैं वहां जाति और समाज के आधार पर भी फोकस कर रहे हैं। जानकारों का कहना है अगर यह वोट बैंक सफाई में के परंपरागत वोट बैंक के साथ जुड़ता है तो उसकी स्थिति काफी मजबूत हो सकती है।