
यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य पर लगा फर्जी डिग्री का आरोप, कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर फर्जी डिग्री का आरोप है। प्रयागराज की स्थानीय अदालत ने उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
लखनऊ : यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर कथित फर्जी डिग्री के आधार पर पेट्रोल पंप की डीलरशिप लेने और चुनावों के नामांकन के समय कथित झूठा हलफनामा दाखिल करने के आरोपों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। स्थानीय अदालत ने कैंट थाना को शुरुआती जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है । उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर फर्जी डिग्री का आरोप है। इलाहाबाद की स्थानीय अदालत ने उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं ।
25 अगस्त को होगी सुनवाई
याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी के वकील उमा शंकर चतुर्वेदी ने एजेंसी को बताया कि अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने कैंट थाना प्रभारी को इस मामले की शुरुवाती जांच रिपोर्ट एक हफ्ते में पेश करने को कहा है, इस मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी ।
उपमुख्यमंत्री पर क्या हैं आरोप
सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी का आरोप है कि उपमुख्यमंत्री ने वर्ष 2007 में शहर पश्चिमी विधानसभा चुनाव और इसके बाद के कई चुनावों में नामांकन के समय दाखिल हलफनामा में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों का उल्लेख किया और इन्हीं कागजातों के आधार पर पेट्रोल पंप भी हासिल किया हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि RTI के तहत इंडियन ऑयल से प्राप्त उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की स्नातक की डिग्री की कॉपी में सेकंड ईयर का roll number किसी मंजू सिंह के नाम दर्ज है, जबकि थर्ड ईयर का रोल नंबर केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर है ।
सामाजिक कार्यकर्ता त्रिपाठी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जनवरी, 2012 में दिए एक निर्णय में हिंदी साहित्य सम्मेलन की डिग्रियों को अमान्य घोषित कर दिया था। इस तरह से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को अपने हलफनामे में इन फर्जी डिग्रियों का उल्लेख नहीं करना चाहिए था ।
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