
यूपी :गैंगवार में मारे जा रहे मुख्तार अंसारी व मुन्ना बजरंगी के करीबी व शूटर
पूर्वांचल में अपराधियों के बीच वर्चस्व के लिए लगातार आपसी रंजिश चलती रही हैं। वर्तमान में सभी के निशाने पर मुख्तार अंसारी का गिरोह है। इसके सफाया के लिए पूर्वांचल के बाहुबलियों का गठजोड़ बन गया है। इसमें कई सफेदपोश माफिया शामिल हैं। करीब छह साल पहले से मुख्तार के करीबियों पर हमले की शुरूआत हुई। अब तक इस गिरोह के प्रमुख लोगों में मुन्ना बजरंगी, उसके साले पुष्पजीत सिंह, मो. तारिक, पूर्व उप प्रमुख अजीत सिंह की हत्या हो चुकी है। वहीं शुक्रवार को इस गिरोह के दो प्रमुख किरदार भी चित्रकूट जेल में गैंगवार की भेंट चढ़ गये। इसमें मेराज व मुकीम काला का नाम शामिल है। इन दोनों की हत्या करने वालो अंशु दीक्षित कभी मुख्तार के लिए काम करता था। लेकिन वह समय के साथ ही अपना पाला बदल लिया था। शुक्रवार को गैंगवार के बाद पुलिस की कार्यवाही के दौरान अंशु की भी मौत हो गई।

पूर्वांचल में मुन्ना बजरंगी ने 1995 में विधायक रामचंदर सिंह की हत्या कर दी। इसके बाद उसने मुख्तार का दामन थामा और उनके राजनीतिक पकड़ का फायदा उठाकर उसका ढाल बना। फिर ठेकों व जमीन के कारोबार में स्थापित हो गया। मुन्ना बजरंगी ने दूसरे बड़े नेता व मऊ से तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर ऐसा खौफ पैदा किया कि मुख्तार अंसारी के विरोधी उसके नाम से दहशत खाने लगे। मुख्तार अंसारी के गिरोह का वर्चस्व करीब ढाई दशक से पूर्वांचल के सभी जिलों सहित बिहार व झारखंड के कोयले के कारोबार में भी मजबूत है। वहीं दूसरा गिरोह भी अपनी साख बचाने व वर्चस्व कायम करने के लिए लगातार रास्ता तलाश रहा था। इस गिरोह ने मुख्तार के करीबी व ढाल बने मुन्ना बजरंगी को सबसे पहले निशाने पर लिया। करीब छह साल पहले इसकी बुनियाद लखनऊ के विकासनगर इलाके में पड़ गई।
कारोबार संभाल रहे साले व उसके दोस्त की हत्या से शुरू हुआ खेल
मुन्ना बजरंगी की कमर तोड़ने के लिए सबसे पहले उसके साले पुष्पजीत सिंह उर्फ पीजे को निशाना बनाया गया। पुष्पजीत ही मुन्ना के सभी अवैध व वैध कारोबार को संभालता था। 5 मार्च 2016 में पुष्पजीत अपने दोस्त संजय मिश्रा के साथ एक समारोह में शामिल होने जा रहा था। विकासनगर इलाके में बाइक सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर पुष्पजीत व संजय की हत्या कर दी। इसके बाद मुन्ना और पुष्पजीत का करीबी मो. तारिक ने मजबूती से कारोबार को संभाला था। लेकिन उसे भी 2 दिसंबर 2017 की शाम को गोमतीनगर विस्तार इलाके के ग्वारी फ्लाईओवर पर गोलियों से भूनकर मौत की नींद सुला दिया गया। तारिक पर भी पुष्पजीत की तरह ही बाइक सवार बदमाशों ने हमला किया था। इन दोनों वारदात का खुलासा करने में लखनऊ पुलिस पूरी तरह से विफल रही। वहीं एसटीएफ ने भी इस गैंगवार के संबंध में पड़ताल की लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
यह भी पढ़ें : लखनऊ : सपा सांसद आजम खां की हालत गंभीर, अखिलेश यादव मिलने पहुंचे
जेल में तीन साल पहले मुन्ना बजरंगी की हत्या
मुन्ना बजरंगी के करीबियों की हत्या का खुलासा नहीं हो रहा था। वहीं गिरोह पर नेतृत्व का संकट गहरा रहा था। इसी बीच किसी तरह अपने करीबियों को समेटकर मुन्ना बजरंगी दोबारा खड़ा होने की कोशिश कर रहा था। इसी बीच एक साल बाद 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस वारदात को अंजाम देने वाला सुनील राठी उसी जेल में बंद था। पुलिस के सूत्र बताते हैं कि पूर्वांचल के एक बाहुबली नेता के इशारे पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी को मौत की नींद सुलाई थी। इसकी आशंका मुन्ना बजरंगी की पत्नी हत्या से एक महीने पहले जताया था। उसने राजधानी के एक बड़े पुलिस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाया था।
अजीत के बाद मेराज व मुकीम काला की हत्या
मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद 6 जनवरी 2021 को मुख्तार के करीबी व मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना के पूर्व उप प्रमुख अजीत सिंह की विभूतिखंड थाने में ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई। इस वारदात को अंजाम देने के लिए पूर्वांचल व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छह शूटरों ने 50 राउंड से अधिक गोलियां चलाई थीं। इस हत्याकांड की साजिश रचने में पूर्वांचल के बाहुबली व पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम सामने आया। पुलिस ने उन पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया। वह इस मामले में फरार चल रहे हैं। अजीत सिंह की हत्या के पांच महीने के अंदर ही चित्रकूट जेल में बंद मुख्तार व मुन्ना बजरंगी के करीबी दो बदमाशों मेराज व मुकीम काला की गैंगवार में हत्या कर दी गई।
मुन्ना बजरंगी के साथ नामजद रहा मेराज
दिल्ली पुलिस ने जब मुन्ना बजरंगी को मुंबई से गिरफ्तार किया। उससे कई दिनों की पूछताछ के बाद पोटा की भी कार्यवाही की गई। इसी दौरान पुलिस ने मुन्ना के करीबी कहे जाने वाले मेराज को भी दबोच लिया था। मुन्ना व मेराज को एक साथ कई केस में फाइली बनाया गया। मेराज से पूछताछ करने के बाद कई राज उगलवाये गये थे। इसके बाद कई सफेदपोशों को भी निशाना बनाया गया था। पुलिस पर इस दौरान मेराज के नाम पर पूर्वांचल के कई जिलों के बड़े कारोबारियों व सफेदपोशों से वसूली का भी आरोप लगा। गिरफ्तारी के बाद मुन्ना बजरंगी को पूर्वांचल के जेलों में नहीं रखा गया। उनको डर था कि कहीं मुन्ना के नाम का जो खौफ है उसे जेल से कैश कराने लगे। इसके लिए मुन्ना को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जेलों में रखा गया। उसे बरेली, बागपत जेलों में रखा गया। वहीं के जेल में मुन्ना बजरंगी की मुलाकात मुकीम उर्फ काला से हुई। दोनों ने जेल में एक साथ मिलकर गिरोह चलाने लगे। पुलिस सूत्र बताते हैं कि मुकीम ने मुन्ना की आर्थिक रूप से काफी मदद की।
छात्र राजनीति से अपराध जगत में दाखिल हुए अंशु
सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी निवासी अंशु दीक्षित लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति करता था। यहीं से उसका संपर्क अपराधियों से हुआ। उसने विश्वविद्यालय के पूर्व महामंत्री विनोद त्रिपाठी की 11 दिसंबर 2006 को गोली मारकर हत्या कर दी। बताते हैं कि वारदात की रात में जय सिंह, अंशुल दीक्षित उर्फ अंशु व सुधाकर पांडेय के बीच किसी बात पर विवाद हुआ। इसी दौरान अंशु ने विनोद त्रिपाठी व गौरव सिंह को गोली मार दी थी। वारदात के कुछ दिन बाद पुलिस ने जय सिंह को मुठभेड़ में मार गिराया था।
अंशु को पुलिस ने 2008 में गोपालगंज (बिहार) के भोरे में अवैध असलहों के साथ पकड़ा था। छह साल बाद ही वह पेशी से लौटते समय सीतापुर रेलवे स्टेशन पर सिपाहियों को जहरीला पदार्थ खिलाकर फायरिंग करते हुए फरार हो गया था। उस पर 50 हजार का इनाम घोषित हुआ था। उसके बाद उसके भोपाल में उसकी लोकेशन मिली थी। जिस पर एसटीएफ लखनऊ की टीम उस की गिरफ्तारी के लिए वहां गई। वहां एसटीएफ व भोपाल क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम के साथ उसकी गिरफ्तारी के लिए घेराबंदी की तो उसने पुलिस पर फायरिग शुरू कर दी। जिसमें एसटीएफ के दरोगा संदीप मिश्र को गोली लगी वहीं भोपाल क्राइम ब्रांच के सिपाही राघवेंद्र भी घायल हो गया था।
भोपाल में अलकापुरी इलाके में गलत नाम-पते से किराए का मकान लेकर रह रहा था। अंशु का नाम लखनऊ के हजरतगंज इलाके में स्थित डीआरएम कार्यालय के बाहर गोरखपुर के तिवारीपुर से तत्कालीन सभासद फैजी की हत्या व सीएमओ हत्याकांड में भी नाम आया था। अंशु ने छह माह तक भोपाल में भी फरारी काटी थी। उस पर भोपाल में भी 10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर रहा था। 2014 में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। सुल्तानपुर जेल में बंद था, लेकिन चित्रकूट जेल में सुरक्षा व्यवस्था आधुनिक होने से करीब दो वर्ष पहले यहां भेजा गया था। अंशु दीक्षित आठ दिसंबर 2019 को यहां भेजा गया था। लखनऊ सीएमओ हत्याकांड में भी अंशु दीक्षित शामिल था। वह पूर्वांचल के माफियाओं के काफी करीब रहा है।