यूपी: 24 साल बाद चौधरी परिवार से साथ नजर आएंगे सतपाल मलिक, किसान सम्मेलन में लेंगे हिस्सा
रालोद के मुखिया जयंत चौधरी के साथ पहली बार मंच साझा करेंगे। यही कारण है कि अब सभी की निगाहें आगामी 3 अक्टूबर को होने
बागपत: किसानों के साथ हमेशा उनकी आवाज को मुखर करने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (satyapal malik)कभी भी केंद्र सरकार को झरने में पीछे नहीं रहते हैं। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कार्यकाल आज से समाप्त हो रहा है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कार्यकाल समाप्त होने के बाद मलिक के राजनीतिक9politics) सफर को लेकर 3 अक्टूबर को शामली(shamli) में होने जा रहा है किसान सम्मेलन ना केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश बल्कि हरियाणा तथा राजस्थान तक चर्चा के केंद्र में आ गया है। इस सम्मेलन में सतपाल मलिक 24 वर्ष बाद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह9ch. charan singh) के पोत्र रालोद के मुखिया जयंत चौधरी के साथ पहली बार मंच साझा करेंगे। यही कारण है कि अब सभी की निगाहें आगामी 3 अक्टूबर को होने वाली किसान सम्मेलन(kisan sammelan) में टिक गई है।
गौरतलब है कि सत्यपाल मलिक ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की छत्रछाया में राजनीतिक सफर शुरू किया था। बेशक किसी जमाने में सतपाल मलिक चौधरी साहब के खासम खास हुआ करते थे वहीं राजनीतिक अदावत थी इस परिवार से काफी पुरानी है। बता दें कि जब 1977 में जनता पार्टी सफलता के चरम पर थी तक चौधरी साहब और मलिक की राह एक दूसरे से जुदा हो गई।
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सतपाल मलिक 1997 में अजीत सिंह के साथ आए और अजीत सिंह के भाजपा प्रत्याशी के चुनाव हारने के बाद सतपाल मलिक अजीत सिंह से अलग हो गया और उन्होंने 15 जुलाई 1979 को मोरारजी देसाई की सरकार गिरने के बाद वह वापस लौट आए। फिर 1984 में वह चौधरी साहब से अलग हो गए इसके बाद मलिक कांग्रेश वाया जनता दल तथा सपा होते हुए 1997 में अनिल सिंह के साथ आ गए मगर साथ लंबा नहीं चला 98 में अजीत सिंह के भाजपा प्रत्याशी के चुनाव हारने के बाद उनसे भी अलग हो गया और 2004 में भाजपा के टिकट पर बागपत से अजीत सिंह के सामने लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
वही कयास लगाए जा रहे हैं कि 24 साल बाद सतपाल मलिक एक बार 15 अक्टूबर को शामली में जेंट्स के साथ किसान सम्मेलन का मंच साझा करेंगे। इससे हम लोगों की निगाहें दोनों के अंदर खाने चल रही राजनीतिक की नई जुगलबंदी पर टिकी है।