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केंद्रिय मंत्रालय ने दी 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस मनाने की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ घोषित करने की मंजूरी दे दी है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) खुद को जनजातीय सहयोगी बता रही है, वहीं दूसरी तरफ झारखंड की सत्ताधारी पार्टी इस फैसले का स्वागत कर रही है और इसे राजनीतिक स्टंट बता रही है, जिससे राज्य में राजनीति गरमा गई है।

जनजातीय मित्रों ने बीजेपी को बताया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती यानी 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित करने की मंजूरी दे दी है। नतीजतन, राज्य अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने इस फैसले का स्वागत किया है और भाजपा को जनजातीय सहयोगी बताते हुए केंद्रीय नेतृत्व को धन्यवाद दिया है।

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वहीं मोर्चा अध्यक्ष शिवशंकर ओराव ने हेमंत सरकार पर सिर्फ जनजातीय हितैषी होने का आरोप लगाते हुए कहा, ”केंद्र ने साबित कर दिया है कि अब यहां की सरकार को आदिवासियों से दोस्ती का सबूत पेश करना चाहिए।”

मंदर के विधायक भाई तिर्की ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत किया और बेहतर कार्रवाई का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार को वास्तव में आदिवासियों के गौरव की परवाह है, तो आयोजन न करें, आदिवासियों को उनका गौरव दें। विधायकों ने झारखंड में पांचवीं अनुसूची को लागू करने की भी मांग की।

जनजातीय समुदाय को धोखा देना आसान नहीं

दूसरी ओर, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने इस कदम का स्वागत किया, लेकिन कहा कि यह एक राजनीतिक स्टंट था। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड में जनजातीय समुदाय द्वारा खारिज किए जाने के बाद भाजपा अब भगवान बिरसा मुंडा को याद कर रही है। भाजपा सब कुछ चुनावी दृष्टिकोण से और समय की मांगों के साथ करती है। यह बीजेपी का इवेंट मैनेजमेंट है लेकिन जनजातीय समुदाय को धोखा देना इतना आसान नहीं है।

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