स्मारक घोटाले में आरोपित पूर्व मंत्री बाबू सिंह और नसीमुद्दीन की भी बढ़ेंगी मुश्किलें
लखनऊ। पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी की बसपा शासनकाल में होने वाले स्मारक घोटाले की जांच में तेजी आने के बाद मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
हाई कोर्ट में बीते दिनों पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने स्मारक घोटाले को लेकर एक याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने की मांग की थी।
दो सितंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिका को रद्द कर चार सप्ताह में विजिलेंस को विवेचना पूरी करने का निर्देश दिया था। विजिलेंस जांच ने जिसके बाद रफ्तार पकड़ ली। पांचवां आरोपपत्र विजिलेंस ने सोमवार को दाखिल किया है।
चार आरोपपत्र इससे पहले भी दाखिल हो चुके हैं, जिनमें खनिज विभाग के निदेशक रामबोध मौर्य सहित कई अधिकारियों, कर्मियों और ठेकेदारों के नाम मौजूद थे। जिन आरोपितों के खिलाफ अब तक चार्जशीट दाखिल की गई, उनमें से 37 लोकसेवक की लोग भी शामिल हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी स्मारक घोटाले की जांच कर रहा है।
लखनऊ के गोमतीनगर थाने में जनवरी 2014 को विजिलेंस ने एक स्मारक घोटाले की एफआइआर लिखाई थी इस पर साढ़े सात सालों से विवेचना ही चल रही है। पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा ने बीते दिनों पहली बार बयान दर्ज कराए थे।
दोनों पूर्व मंत्रियों ने पूछताछ में बड़े ठेकों से लेकर अन्य फैसलों को निर्माण कार्य से जुड़ी पूरी जिम्मेदारी अधीनस्थ अधिकारियों और कार्यदायी संस्थाओं पर डाली थी। 50 से अधिक फाइलों को विजिलेंस ने इसके बाद खंगालना शुरू किया था।
उप्र राजकीय निर्माण निगम, खनन विभाग और शासन स्तर के कुछ अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी। कुछ अधिकारियों के बयान दर्ज कराए जा चुके हैं। अधिकारियों से कुछ विशेष बिंदुओं पर जानकारी लेने के बाद दोनों पूर्व मंत्रियों को जांच एजेंसी फिर तलब कर सकती है।