
क्या है वृक्षारोपण अभियान ? क्यों ज़रूरी है ये अभियान
पूरी दुनिया में इस समय इंसान के द्वारा फैलाए गए प्रदूषण की वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग हो रही है। वहीं दूसरी ओर पेड़ों के कटने की वजह से और उनकी संख्या में कमी आने की वजह से ग्लोबल वार्मिंग में लगातार इजाफा होता जा रहा है। बढ़ते हुए प्रदूषण का परिणाम तो हम बढ़ती हुई गर्मी के रूप में देख ही सकते हैं। इस बढ़ते तापमान को रोकने के लिए अब सिर्फ एक ही उपाय है वह है वृक्षारोपण यानी कि पेड़ों को लगाना। बढ़ती हुई गर्मी को ध्यान में रखते हुए और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत की सरकार एक नई योजना लेकर आई है। केंद्र सरकार द्वारा वृक्षारोपण अभियान ( tree plantation campaign ) की शुरुआत की गई। आज हम आपको इसी अभियान के बारे में पूरी जानकारी देंगे और साथ ही साथ यह भी बताएंगे कि इससे आपको क्या फायदा होगा या फिर आप के पर्यावरण को कितना फायदा मिलने वाला है।

क्या है वृक्षारोपण अभियान?
इस बात से हर कोई अच्छी तरीके से अवगत है कि वृक्ष हमारे लिए किस प्रकार से आवश्यक है। भारत में वृक्षों की संख्या लगातार कम होती जा रही है ऐसा बढ़ते हुए विकास कार्य या फिर कहा जाए निर्माण कार्य की वजह से भी हो रहा है। जहां एक और वृक्ष हम को छाया और फल के साथ-साथ ऑक्सीजन की प्रदान करते हैं वहीं दूसरी ओर हमारे निर्माण कार्यों में भी वृक्षों का बहुत बड़ा हाथ होता है।
भारत देश में वृक्षों की हो रही कमी को देखते हुए भारत सरकार ने वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान की शुरुआत केंद्रीय मंत्री अमित शाह द्वारा की गई थी। यह अभियान 23 जुलाई 2020 को शुरू किया गया था। कोयला मंत्री की उपस्थिति में गृह मंत्री द्वारा 23.07.2020 को वृक्षारोपण अभियान (वीए) के शुभारंभ द्वारा मंत्रालय की गोइंग ग्रीन जोकि इसके अंतर्गत है, की पहल शुरू की गई।यह अभियान भारत देश के लिए एक बहुत ही महत्वकांशी अभियान है।
इस अभियान के अंतर्गत भारत की सरकार भारत में वृक्षारोपण का कार्य करेगी। इसी के साथ उद्योग में आसानी, कोयले का उत्पादन करना भी इस मिशन का एक हिस्सा है। भारत में वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत कोयला मंत्रालय द्वारा की गई थी। इस हरित पहल से कोयले और लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ-साथ भारत में निजी खनिकों की सक्रिय भागीदारी में भी तेजी आएगी।
इस अभियान की मुख्य अवधारणा प्रकृति और पर्यावरण को फिर से बहाल करना है। इसका मतलब यह है कि एक बार फिर से पेड़ों को लगा करके भारत देश में हरियाली लाना। पेड़ों यानी कि वृक्षों की आवश्यकता के बारे में हर कोई जानता है और हर कोई इस बात से भी अच्छी तरीके से अवगत है कि किस प्रकार यह हमारे काम आते हैं और हमारे जीवन के लिए कितने आवश्यक है।
क्या है अभियान की आवश्यकता?
भारत में कुल 3,518 करोड़ पेड़ हैं। क्षेत्रफल के लिहाज से प्रति स्कैवयर किलोमीटर कुल 11,109 पेड़ हैं। अगर बात प्रति व्यक्ति पेड़ों की संख्या की हो तो यह आंकड़ा सिर्फ 28 पर आकर थम जाता है।
पुराने जमाने में लोग अपनी मुख्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पेड़ों पर निर्भर रहते थे। वहीं से उनका खाना और रहने के लिए आश्रय भी होता था।
वर्तमान समय में भी वृक्षारोपण करना हर किसी के लिए आवश्यक है क्योंकि अभी हम हर चीज के लिए वृक्षों पर ही आश्रित हैं चाहे वह छोटी से छोटी चीज ही क्यों ना हो। फलों लकड़ी और यहां तक कि ऑक्सीजन के लिए भी हम वृक्षों पर आश्रित रहते हैं।
पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण की वजह से वृक्षारोपण की आवश्यकता इन दिनों अधिक होती जा रही है।वर्तमान में भारत में कुल 3,518 करोड़ पेड़ हैं। क्षेत्रफल के लिहाज से प्रति स्कैवयर किलोमीटर पर कुल 11,109 पेड़ भारत में हैं। अगर प्रति व्यक्ति पेड़ों की संख्या पर ध्यान दिया जाए तो यह आंकड़ा सिर्फ 28 पर आकर थम जाता है।
अगर हम भारत भारत में इंसान हो और पेड़ों के अनुपात की करें तो हमारे भारत की रैंकिंग बहुत ही नीचे आती है। 3518 करोड़ पेड़ों की संख्या के साथ भारत 17 वें स्थान पर आता है।
वनों के होने से हमें ईंधन के लिए प्राप्त रूप से लकड़ियां प्राप्त होती हैं, वर्षा का संतुलन बना रहता है, पानी साफ रहता है, आदि।अगर यहां हम वृक्षों के फायदों के बारे में बताने लगे तो फिर शब्द भी कम पड़ेंगे। लेकिन बढ़ते पर्यावरण असंतुलन की का मुख्य कारण पेड़ों को काटना ही है।आज मानव मात्र भौतिक प्रगति की ओर अधिक क्रियाशील हो रहा है जिसकी वजह से वह अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए वृक्ष की कटाई कर रहा है।
भारत देश में अभी भी महामारी का उपद्रव मचा हुआ है। कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर भारत में लोगों को कई सीख दे रही है। दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी भी एक बड़ा संकेत दे रही है। वृक्ष हमको आक्सीजन प्रदान करते हैं पर यह साफ संकेत है कि वृक्ष काटने की वजह से ही ऑक्सीजन की कमी हो रही है। यही वजह है कि पेड़ों को संजो कि रखना हम मानवों का कर्तव्य है।
क्या क्या होगा काम?
जिस दिन इस अभियान की शुरुवात हुई उसी दिन 10 राज्यों के 38 जिलों में फैले लगभग 450 एकड़ क्षेत्र को कवर करते हुए वृक्षों को लगाया गया। इसमें स्थानीय किस्मों के लगभग 4.5 लाख पौधे लगाए गए। इसी के साथ आस-पास के क्षेत्रों में वृक्षारोपण के लिए स्थानीय लोगों को 3.5 लाख पौधे वितरित किए गए थे।
इस कार्य के अंतर्गत ना केवल वृक्षों को लगाया गया बल्कि गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 2 इको-पार्कों का उद्घाटन किया गया था। इसके अलावा और 3 इको-पार्कों तथा साल वृक्षारोपण की एक परियोजना की आधारशिला भी रखी गई थी। वृक्षारोपण अभियान के तहत बड़े पैमाने पर सार्वजानिक क्षेत्र के उद्यमों (PSU) की कॉलोनियों, कार्यालयों और खानों के साथ-साथ कोयला और लिग्नाइट से जुड़े अन्य उपयुक्त क्षेत्रों में भी वृक्षारोपण किए जाने की पहल की गई है।
कितना हुआ अभियान में काम?
इस अभियान की शुरुआत तो जोरों शोरों से हुई थी जिसमें हर जगह पौधों का वितरण और साथ ही साथ वृक्षारोपण भी किया गया था। लेकिन अब अभियान कहां तक पहुंचा है इसकी कोई खास खबर सामने नहीं आ रही है। वृक्षों को जहां जहां पर लगाया गया था वहां पर वृक्षों की क्या हालत है इस बात पर भी कुछ नहीं कहा जा सकता है। एक ओर जहां भारत में इस प्रकार के अभियानों को चलाया जा रहा है दूसरी ओर धड़ल्ले से पेड़ भी काटे जा रहे हैं। सरकार ने एक योजना वृक्षारोपण के लिए बनाई है लेकिन वही दूसरी ओर ऐसी कई योजनाएं भी बनी हुई है जिन के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है। उदाहरण के तौर पर सेतु भारतम योजना के लिए कई पेड़ों को काटा गया है।
यह योजना अगर इसी प्रकार से चलती रही तो यह तो मंझधार में छेद वाली नाव से पानी निकालने वाली बात हो जाएगी। मतलब यह कि एक तरफ जहां पेड़ काटे जा रहे हैं वहीं दूसरी और अगर पेड़ लगाए जा रहे हैं तो इस बात का कोई फायदा नहीं होगा। इसी वजह से पेड़ों को लगाने के साथ-साथ पेड़ काटने में भी कमी करनी होगी। इसी मदद से यह अभियान सफल हो पाएगा।