5 सितम्बर को बिहार के इन दो शिक्षकों को मिलेगा राष्ट्रीय पुरस्कार, जानें इनके बारे में !
पटना : 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति, चयनित शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। चुने गए नामो में बिहार के दो शिक्षकों हरिदास शर्मा और चंदना दत्त का नाम शामिल है। हरिदास शर्मा कैमूर जिले के आरके मिडिल स्कूल के कार्यवाहक प्रधानाध्यापक हैं और चंतना दत्त मधुबनी के राजकीय माध्यमिक पाठशाला की शिक्षिका हैं।
आपको बता दे कि हर साल शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रसम्मान के लिए कुछ नामो का चयन होता है। बिहार में हर साल 2-3 पुरस्कार आते ही है। इस बार भी बिहार से 2 शिक्षकों का चयन हुआ है। चुने हुए नामो में शिक्षिका चंदना दत्त के नाम है।
चंदना मधुबनी के राजनगर स्थित राजकीय माध्यमिक पाठशाला (रांटी) में पढ़ती है। दूसरा नाम है हरिदास शर्मा का। हरिदास शर्मा कैमूर जिले के रामगढ़ स्थित आरके मिडिल स्कूल (डरहक) के कार्यवाहक प्रधानाध्यापक हैं।
शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को देशभर से 44 नामों की घोषणा की। सूची में वो नाम शामिल है जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम किया है और छात्रो को समृद्ध बनाने में कड़ी मेहनत की है। चुने हुए शिक्षकों को 5 सितम्बर को नई दिल्ली पहुंचना होगा। वहां एक कार्यक्रम मे प्रत्येक को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से एक पदक, एक प्रमाण पत्र और 50,000 रुपये का इनाम मिलेगा।
कौन है चंदना दत्त ?
चंदना 2005 में स्कूल में शिक्षिका के तौर पर शामिल हुई थी। उनका बिहार के ग्रामीण लड़कियों की पढ़ाई में बहुत बड़ा योगदान रहा है। पहले के समय स्कूल में लड़कियों की संख्या बहुत कम थी। चंदना की मेहनत और प्रोत्साहन के बाद लोगों ने धीरे-धीरे अपनी बेटियों का सरकारी माध्यमिक विद्यालय में दाखिला कराया।
चंदना दत्त ने योगदानकर्ता के रूप में कई पुस्तकों में कहानियां और कविताएं भी लिखी हैं। वह मशहूर मिथिला चित्रकार बिमला दत्त की बहू हैं, जिनका कला के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
हरिदास शर्मा का योगदान
हरिदास शर्मा आरके मिडिल स्कूल के प्रधानाध्यपक है। कोरोना के समय जब लॉकडाउन में जब स्कूल बंद थे तब हरिदास ने घर पर बैठना सही नही समझा। उन्होंने स्कूल की दीवार को रंगीन कर स्कूल को और आकर्षित बना दिया।
हरिदास शर्मा ने स्कूल की इमारत पर रंगों से चंद्र और सूर्य ग्रहणों, संख्याओं और अक्षरों से सजा के बना दिया ताकि बच्चो को पढ़ने में आसानी हो। इतना ही नही, उन्होंने स्कूल परिसर के बगीचे में क्यूआर कोड के साथ पौधे और जड़ी-बूटियां भी लगाईं, ताकि बच्चो को पौधे और जड़ी बूटियों के बारे में जानकारी उनके फ़ोन पर ही मिल सके।