छत्तीसगढ़ी कोसा वस्त्रों की चमक पहुंची दिल्ली
छत्तीसगढ़ी कोसा कपड़ों की शोभा राजधानी दिल्ली में पहुंच चुकी है। राज्य के जांजगीर-चांपा जिले को कोसा, कंस, कंचन के नाम से जाना जाता है। स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाया गया कोसा कपड़ा न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। जिले में कोको उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। देश की राजधानी में छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड का नया बिक्री केंद्र ‘संगवारी छत्तीसगढ़’ खुलने से छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के बेहतरीन उत्पाद अब दिल्ली वासियों को आसानी से उपलब्ध होंगे। इस बिक्री केंद्र में कोसा साड़ी, कोसा कुर्ती के टुकड़े आदि बिक्री के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं।
प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ कॉसप्ले का उत्पादन
कोसा उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य प्रशासन द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कोको उत्पादन केंद्रों के 1,080 हेक्टेयर क्षेत्र में कुल 82 अर्जुन पौधे लगाए गए हैं। इस पर कोकून पालन कर प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ कॉसप्ले का उत्पादन किया जा रहा है। जिसमें करीब 2000 लाभार्थी लाभान्वित हो रहे हैं। मृदा से रेशम परियोजना के अंतर्गत जिले के 55 बीज उत्पादकों को तकनीकी प्रशिक्षण देकर नवीन हिंग भवन का निर्माण किया गया है।
विभाग ने कोको खरीद और बीज उत्पादन के लिए एक रिवॉल्विंग फंड की स्थापना की है, जिसमें से उन्होंने 2018 से 2021 तक 4.48 लाख स्वस्थ अंडे का उत्पादन किया है, जिससे 44.80 लाख रुपये की आय हुई है। संयंत्र रखरखाव कार्यकर्ता, लार्वा किसान, टसर कोसा बीज उत्पादन से बीज, यार्न उत्पादन से यार्न उत्पादक और बुनकरों जैसे विभिन्न समूहों को स्वरोजगार मिल रहा है।