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सरकार ने डॉल्फिन सफारी परियोजना के लिए दो स्थलों का रखा  प्रस्ताव, जाने कौन ?

झारखंड में जल्द ही दो नए ईकोटूरिज्म स्थल बनने की संभावना है। साहिबगंज और राजमहल डॉल्फिन पर्यटन के लिए दो उपयुक्त स्थान हैं। इसका उद्देश्य गंगा में लुप्तप्राय डॉल्फ़िन के संरक्षण में मदद करना और क्षेत्र में पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा देना है। इस परियोजना के लिए राजमहल में सिंघी दलन और साहिबगंज में ओझा टोली दोनों स्थानों के बीच कुल 40 किमी की दूरी है।

डॉल्फिन की संख्या में बढोत्तरी 

घटती आबादी वाली गंगा नदी में शिकारियों और अवैज्ञानिक मछली पकड़ने की समस्या के कारण यह परियोजना महत्वपूर्ण है। गंगा डॉल्फ़िन को संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने पर भारतीय उपमहाद्वीप के स्वदेशी लोगों की बेहतर सुरक्षा होगी। भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा राज्य में गंगा पट्टी पर किए गए शोध के अनुसार नदी में 81 डॉल्फ़िन पाई गई हैं। जानकारों का अनुमान है कि इनकी संख्या 130-135 के आसपास हो सकती है। नदी के आकार को देखते हुए इसकी सही गणना करना संभव नहीं होगा।

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इस क्षेत्र में गंगा नदी में डॉल्फिन की मौजूदगी के कारण इस क्षेत्र में इको-टूरिज्म की संभावनाएं हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में डॉल्फ़िन के लिए दूसरा आरक्षित क्षेत्र हो सकता है। बिहार में पहला और एकमात्र रिकॉर्ड तोड़ने वाला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य।

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