
खतरे में बसपा का भविष्य, जल्द छीन सकता है राष्ट्रीय दल का दर्जा …
वर्ष 2012 के बाद से बसपा का वोट प्रतिशत लगातार गिरता जा रहा है। बसपा को यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में 1993 के बाद सबसे
लखनऊ: जिंदगी के साथ ही राजनीति में भी उतार-चढ़ाव लगा रहता है। 2014 लोकसभा चुनाव में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से परिवार वाद और जाति वाद पर राजनीति करने वाले दलों का वजूद खतरे में आ गया है। उत्तर प्रदेश में चार-चार बार सत्ता में रहने वाले सपा-बसपा आज सियासी जमीन तलाशते नजर आ रहे हैं। सपा जहां अभी भी बीजेपी को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है, वहीं बसपा के राष्ट्रीय दल का दर्जा खतरे में आ गया है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी आगामी निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन नहीं सुधार पाती है तो उसका राष्ट्रीय दल होने का दर्जा छिन सकता है।
गौरतलब है कि वर्ष 2012 के बाद से बसपा का वोट प्रतिशत लगातार गिरता जा रहा है। बसपा को यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में 1993 के बाद सबसे कम वोट मिले हैं। जो घटकर वोट प्रतिशत सिर्फ 13 फीसद रह गए, जिसके चलते पार्टी काफी खराब दौर में पहुंच गई है। मजे की बात यह है कि बसपा का दलित वोट बेस होने के बावजूद भी पार्टी को कम वोट मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में 22 फीसदी दलित हैं, बावजूद इसके बसपा को 13 फीसदी वोट मिले। नतीजा रहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीट जीत पाई। इससे समझा जा सकता है कि बसपा से उसके बेस वोटर भी छिटक गए हैं।
दिल्ली एमसीडी चुनाव में बसपा को एक फीसद से कम वोट मिले हैं। बता दें कि वर्ष 2012 यूपी विधानसभा चुनाव से बसपा का ग्राफ लगातार गिर रहा है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा 22.24 प्रतिशत वोटों के साथ सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई थी। वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में बसपा के वोट प्रतिशत में इजाफा तो नहीं हुआ, लेकिन पार्टी को सपा के साथ गठबंधन का फायदा मिला। बसपा 10 लोकसभा सीटें हासिल करने में सफल रही। ऐसे में बसपा की आगे की राजनीतिक राह काफी मुश्किल होती नजर आ रही है। बसपा के सामने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाने के साथ ही विधानमंडल से लेकर संसद तक में प्रतिनिधित्व का संकट खड़ा हो गया है।