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केंद्र सरकार बूस्टर डोज को लेकर कर सकती है विचार, जानिए नीति में क्या हो सकते है बदलाव

केंद्र सरकार जल्द ही कोविड टीकों की तीसरी खुराक या बूस्टर खुराक को लेकर बनाई गई नीति में बदलाव कर सकती है। दरअसल विशेषज्ञों का तर्क है कि, तीसरी खुराक कुछ विशेष आयु वर्ग के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम साबित हो सकती है।

 

 

दी जा सकती है एतिहाती खुराक

 

 

जानकारी के मुताबिक, मौजूदा नीति के तहत सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत तीसरी या बूस्टर खुराक दी जा सकती है। लेकिन सरकार के मानकों के मुताबिक, स्वास्थ्य कर्मियों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को एहतियाती खुराक दी जा सकती है।

 

 

नीति पर फिर से करना होगा विचार

 

 

सरकार दोबारा सभी को बूस्टर खुराक देने को लेकर विचार करेगी। तय की गयी पर भी विचार करना होगा। दरअसल दूसरे देशों में बूस्टर डोज दी गयी। बावजूद इसके वहां कोरोना के मामले नहीं घटे। ऐसे में हम आंख मूंदकर ये गलती नहीं दोहरा सकते हैं। इसके साथ ही स्थानीय आंकड़ों का भी अध्ययन किया जा रहा है। विशेषज्ञ संक्रमण के पैटर्न, वायरस के व्यवहार, उभरते हुए स्वरूपों और वायरल लोड के साथ-साथ पुन: संक्रमण होने आदि विषयों की भी समीक्षा कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ की ओर से भी जल्द ही बूस्टर खुराक को लेकर मार्गदर्शन मिलने की संभावना है। बता दें कि, देश में स्वास्थ्य और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को 10 जनवरी के बाद से अब तक कुल 86.87 लाख एहतियाती खुराक दी गई हैं।

 

 

तीन करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों को लग सकती है खुराक

 

 

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, लगभग तीन करोड़ ऐसे स्वास्थ्य और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी हैं। जिन्हें एहतियाती खुराक लगाई जा सकती है और जो इसके मापदंडों को पूरा करते हैं। इसके अलावा देश में 60 वर्ष की आयु से अधिक और सह-रुग्णता वाले करीब 2.75 करोड़ लोगों के होने का अनुमान है।

 

 

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