
देवस्थानम बोर्ड एक्ट को लेकर लगे आरोप निराधार : सतपाल महाराज
उत्तराखंड : राज्य के संस्कृति और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि बद्रीनाथ केदारनाथ अधिनियम 1939 में पारंपरिक अधिकारों के लिए कोई प्रावधान नहीं था। चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम में इसे स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष तीर्थ पुरोहितों को उनके पारंपरिक अधिकारों के बारे में गुमराह कर रहा है। जबकि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में पुजारियों के पारंपरिक अधिकारों को अधिनियम में सुरक्षित रखा गया है। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के सभी प्रावधानों को उनकी नियुक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए अधिनियम में शामिल किया गया है। मंत्री ने यह बात विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान देवस्थानम बोर्ड अधिनियम पर आपत्ति करने वालों का जिक्र करते हुए की ।
सतपाल महाराज ने अधिनियम में प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि विपक्ष बार-बार निराधार आरोप लगा रहा है कि सरकार देवस्थानम बोर्ड अधिनियम के माध्यम से चार धाम मंदिरों की प्राचीन परंपराओं के साथ छेड़छाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि अधिनियम की धारा 4 (7) में चार धाम तीर्थों से जुड़े लोगों के पारंपरिक, वंशानुगत और अन्य अधिकारों के संबंध में किसी भी विवाद को हल करने के लिए एक समिति के गठन का प्रावधान है।
अधिनियम के लागू होने से पहले, बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों के प्रबंधन के लिए बद्रीनाथ केदारनाथ अधिनियम लागू था। जबकि गंगोत्री में एक स्थानीय समिति और यमुनोत्री में उप मंडल मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक समिति संबंधित मंदिरों का प्रबंधन कर रही थी।
चार धाम देवस्थानम बोर्ड अधिनियम में चार धाम मंदिरों और अन्य संबंधित मंदिरों में उचित प्रबंधन और आवश्यक बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधन के लिए बोर्ड और एक उच्च स्तरीय समिति गठन का प्रावधान है।
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