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अफगानिस्तान में अपनी आखिरी सांस तक लड़ेंगें शिक्षक, दिलाएंगें महिलाओं को अधिकार

अफगानिस्तान में शिक्षक लगातार लड़कियों की शिक्षा के लिए संघर्ष कर रही हैं। तालिबान का कब्जा होने के बाद महिलाओं को डर है कि अब उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे। अब महिलाओं को कई अधिकारों से वंछित रहना पड़ेगा। लेकिन वहां के शिक्षक अच्छा काम कर रहे हैं। वह उनके अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

शिक्षकों का कहना है कि भले ही उनकी जान ही क्यों न चली जाए। लड़कियों की शिक्षा के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। इस बार तालिबान ने कहा है कि वह महिलाओं को कुछ अधिकार देगा, लेकिन उनकी बातों पर लोगों को भरोसा नहीं है।

तालिबान ने पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों की मांग की है। अफगानिस्तान के 13 पिछड़े प्रांतों में 100 से अधिक स्कूल खोलने वाले एक गैर-सरकारी संगठन में काम करने वाली शिक्षिका, महिला शिक्षा के अधिकारों के लिए अभियान चलाती रही हैं।

अफगानी महिलाओं को डर है कि अब जब देश में तालिबान का शासन है तो उनसे उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे और उन्हें घर के भीतर रहने के लिए मजबूर किया जाएगा। हालांकि तालिबान ने अपने बयान में कहा है कि वह महिलाओं की शिक्षा को टारगेट नहीं करेगा।

हेरात में तालिबान ने पहले ही विश्वविद्यालयों को अपने पुरुष और महिला छात्रों को अलग-अलग करने के लिए कहा है। महिला शिक्षक महिला छात्रों को और पुरुष शिक्षक पुरुष छात्रों को पढ़ाएंगे।

तालिबान ने महिलाओं को काम करने, लड़कियों को स्कूल जाने और सार्वजनिक रूप से असंतुष्टों को मारने या विकृत करने पर रोक लगा दी है। इसने अल-कायदा को भी शरण दी थी, जिसने न्यूयॉर्क और वाशिंगटन पर 11 सितंबर के हमलों की साजिश रची थी।

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