उत्तर प्रदेश : ओमेक्स सिटी की दीवार तोड़ने का केस पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
लखनऊ : नगर निगम सहित दूसरे पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वे औरंगाबाद खालसा के पास ओमेक्स सिटी की दीवार तोडऩे के केस में यथावत् बनाए रखें। सभी पक्षकारों को कोर्ट द्वारा नोटिस भी जारी किया गया है।
सुप्रीमकोर्ट के न्यायधीश न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा तथा न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी ने शुक्रवार को यह आदेश दिया। यह आदेश कोर्ट ने लखनऊ ओमेक्स सिटी रेजीडेंट और आलॉटी एसोसिएशन की दायर याचिका पर दिया। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट के आदेश पर नगर निगम ने ओमेक्स सिटी के गेट की देवर तोड़ दी था। नगर निगम की औरंगाबाद आवासीय योजना के मुख्य रास्ते पर शहीद पथ के पास यह गेट रोड़ा बन रहा था। अदालत में लंबी लड़ाई लड़ने के बाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दो जुलाई को लखनऊ ओमेक्स सिटी रेजीडेंट और आलॉटी एसोसिएशन की याचिका को निरस्त कर दिया था। नगर निगम ने आदेश की कॉपी मिलते ही उसी दिन की गेट की दीवार को तोड़ दिया था।
आवासीय और व्यावसायिक परियोजना ग्राम औरंगाबाद खालसा स्थित भूमि पर चल रही है। नगर निगम को इस परियोजना पर म्युनिसिपल बॉण्ड से दो अरब की रुपए भी मिले है। इसमे अनेकों श्रेणी के 684 फ्लैट और 21 नग व्यावसायिक दुकानों का बनवाया जा रहा है। ओमेक्स सिटी के मध्य से इस परियोजना के पास प्रस्तावित मेन रोड पर ओमेक्स रेजीडेन्ट एंड एलॉटीज एंड टू अदर्स ने साल 2018 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
प्रस्तावित सम्पर्क मार्ग को नगर निगम ने खुद की जमीन बताया था। जबकि आवंटियों का कहा था कि विकासकर्ता ने उन्हें यह जमीन दिलाई है। मुख्य सम्पर्क मार्ग में गेट लगने से परियोजना पर उल्टा प्रभाव पड़ रहा था। गेट टूटने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि रायबरेली मुख्य मार्ग से आवासीय परियोजना के आवंटियों को सीधा प्रवेश मिलेगा। नगर निगम के फ्लैटों के मूल्यों में भी बढ़ोतरी होगी।