SRMS Engineering College: ध्यान लगाने, भगवान को पाने के लिए जंगल जाने की जरूरत नहीं
SRMS Engineering College:युवाओं में जोश भरने और प्रतिभा को मंच प्रदान करने के लिए एसआरएमएस कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नालाजी में दो दिवसीय सांस्कृतिक और खेलकूद प्रतियोगिता अंतराग्नि आरंभ हुई। इसमें पांच दर्जन से ज्यादा सांस्कृतिक और खेलकूद स्पर्धाएं आयोजित होंगी। पहले दिन 28 प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।
सीईटी के मुख्य मैदान में शुक्रवार सुबह नौ बजे आमोद रन के साथ खेलकूद प्रतियोगिताएं आरंभ हुईं। आमोद रन में मिली मशाल से एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति ने ज्योति प्रज्वलित की और आमोद ध्वज फहराया। इस मौके पर शांति के प्रतीक कबूतर और सफलता के प्रतीक के रूप में गुब्बारों को भी आकाश में छोड़ा और आमोद के आरंभ होने की घोषणा की। इसके बाद कालेज के सेंटेनियल आडिटोरियम में मां सरस्वती की प्रतिमा के सामने देवमूर्ति, आईआईटीएन व आध्यात्मिक गुरु योगी प्रतीक चैतन्य ने मेहमानों के साथ दीप प्रज्वलित किया।
सरस्वती और गणेश वंदना व संस्थान गीत के बाद एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन ने सांस्कृतिक प्रतियोगिता जेस्ट को आरंभ किया। देवमूर्ति से वैलेंटाइन डे की शुभकामनाओं का विद्यार्थियों ने उत्साह से जवाब दिया। देवमूर्ति ने भी विद्यार्थियों से हार-जीत और भेदभाव भूल कर खेल भावना से इस मंच का सदुपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि छुपी प्रतिभाओं को सामने लाने और सीखने के साथ लीडर बनने का यह मौका है। इसका सभी लाभ उठाएंगे। इस मौके पर मौजूद वाराणसी से आए आईआईटीएन, साधक, गायक, इंटरप्रिन्योर, योगी प्रतीक चैतन्य ने ध्यान संगीत के माध्यम से विद्यार्थियों को ज्ञान को बढ़ाने और समाज में लीडर बनने के टिप्स दिये।
योगी चैतन्य ने विद्यार्थियों को ध्यान संगीत के अपने प्रस्तुतिकरण में राम नाम की महिमा का बखान किया। ओंकार से आरंभ कर उन्होंने राम भजन जनम सफल होगा रे बंदे मन में राम बसा… के माध्यम से विद्यार्थियों को कर्म कर फल की चिंता प्रभु राम पर छोडने की नसीहत दी। इसके बाद उन्होंने कबीर वाणी तोरी गठरी पे लागा चोर की संगीतमय व्याख्या की। बताया कि ज्ञान प्राप्ति में किस तरह से बाधाएं आती हैं और किस तरह इनसे निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पांच इंद्रियां और गुण मिल कर ज्ञान, बुद्धि और साधना को चुरा लेते हैं। इसे बचाना जरूरी है। अंत में स्वामी प्रतीक ने कीर्तन श्री राम जय राम जय जय राम के माध्यम से विद्यार्थियों को ध्यान लगाने की तरकीब बताई। उन्होंने कहा कि संसार में रह कर ही ध्यान लगाना है। इसके लिए जंगल में जाने या एकांत की जरूरत नहीं। संसार में रह कर हम जितना ध्यान लगाएंगे उतना ही सफलता हासिल करेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि ज्ञान के लिए सहज रहना आवश्यक है। लेकिन सहज रहना ही सबसे कठिन है।
उन्होंने कबीरदास का दोहा साधो सहज समाधि की व्याख्या कर सहज रहने की तरकीब बताई। महान विज्ञानी आइंस्टीन का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि वह भी दिन-रात विज्ञान के साथ रहने के बाद सहजता खत्म होने पर वायलिन बजाते थे। महात्मा गांधी भी इसके लिए रघुपति राखव राजा राम भजन सुनते थे। इन्हीं संगीत के माध्यम से ही उर्जा को रीचार्ज किया जा सकता है। इसी से पुनः क्रिएटिव रहने को शक्ति मिलती है।