Government Policies

महामारी से लड़ीं सरकार की ये खास योजनाएं, जानिए इनके बारे में

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए हर कोई अपने हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी वजह से ऐसी बड़ी महामारी को भी काबू में किया जा सका। लेकिन इस बात से हर कोई अच्छे से अवगत है की महामारी से न केवल लोगों के स्वास्थ्य को प्रभाव पड़ा है बल्कि इसके साथ-साथ लोगों की जीवनशैली को भी बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा है।

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special schemes of the government

भारत देश में भी अधिक जनसंख्या होने के कारण ज्यादा लोगों पर इस महामारी का प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह से बेरोजगारी ,खराब जीवन शैली आदि जैसे कई परेशानियों से भारतीयों को जूझना पड़ा। सिर्फ यही नहीं भारत के कई लोगों को तो भरपेट खाना भी नसीब नहीं हुआ। इस वजह से हमारी भारत की सरकार ने महामारी के दौरान कई योजनाओं को शुरू किया। इन योजनाओं का खास मकसद ही हम हमारी से लोगों का बचाव करना और इस बुरे वक्त में लोगों को राहत पहुंचाना था। इन योजनाओं की मदद से बेरोजगारी के साथ-साथ लोगों के कई परेशानियों को दूर किया गया। यही नहीं भारत की केंद्र सरकार के द्वारा इससे पहले भी कई ऐसी योजनाएं शुरू की गई थी जो कि महामारी में वरदान साबित हुई। इसमें स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए योजनाएं तो बनी ही थी लेकिन इसी के साथ-साथ लोगों को खाना खिलाने यानी कि उन्हें उपलब्ध करवाने और बुरे वक्त में उन्हें धनराशि प्रदान करने जैसी काम करने वाली कई योजनाओं को शुरू किया गया। आज हम आपको ऐसे ही योजनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खास तौर पर शुरू की गई योजनाओं के नाम कुछ इस प्रकार है:

1.प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना
2.प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना

  1. मनोदर्पण अभियान
  2. स्वनिधि योजना
  3. आयुष्मान सहकार योजना

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना

भारत देश में वायरस यानी की महामारी इतनी तेजी से फैल रहा था जिसकी वजह से कई लोगों बेरोजगारी की वजह से मामूली संसाधन भी नसीब नहीं हो पा रहे थे । बढ़ते हुए कोरोना वायरस के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2020 में लॉक डाउन का ऐलान किया था लेकिन लॉक डाउन की शुरुआत तो हो गई थी पर इसके बाद लॉकडाउन के साथ-साथ कई लोगों की परेशानियों की भी शुरुआत हुई थी।

महामारी में हुए लॉकडाउन की वजह से लोगों के पास नौकरी और खाने की सबसे बड़ी समस्या थी। यही नहीं इसके अलावा और भी कई ऐसी समस्याएं थी जिनको दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नई योजना लेकर आए थे। हमारे देश में गरीबों का ध्यान रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ( Pradhanmantri Gareeb Kalyan Yojana) की शुरुआत मार्च 2020 में की थी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च को देश में पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की थी जिसके अगले दिन ही यानी की 26 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.70 लाख करोड़ के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (Pradhanmantri Gareeb Kalyan Yojana) की घोषणा की थी। इस योजना में गरीबों को तीन महीने मुफ्त राशन और नकद राशि उपलब्ध कराना शामिल था। वैसे तो योजना साल 2016 में ही शुरू कर दी गई थी लेकिन महामारी में इसका प्रभाव अधिक पड़ा।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना

भारत में महामारी की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉक डाउन का ऐलान किया था। लेकिन इस लॉक डाउन की वजह से कई लोगों की नौकरी छूट गई और साथ ही साथ उनकी दो वक्त की रोटी भी छूट गई। इसका सीधा सीधा मतलब यह है कि महामारी की वजह से लोगों को भरपेट खाना भी नसीब नहीं हो पा रहा था।

लोगों को दो वक्त की रोटी दिलवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (Pradhanmantri Gareeb Kalyan Ann Yojana) की शुरुआत की थी। इस योजना की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साल 2020 में की गई थी जिस के सफल क्रियान्वन के लिए केंद्र सरकार द्वारा 1.70 करोड़ की धनराशि आवंटित की है । यह योजना सरकार द्वारा मुख्य तौर पर लोगों को अनाज बांटने के लिए शुरू की गई थी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का लाभ भारत के 80 करोड़ लोगों को प्रदान किया जाएगा।

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इस योजना के अंतर्गत राशन कार्ड धारकों को 3 माह तक मौजूदा राशन के मुकाबले 2 गुना राशन दिया जाएगा।इसी के साथ लोगों में प्रोटीन की मात्रा की सुनिश्चित करने के लिए 1 किलो दाल भी हर महीने दी जाएगी ।
अनाज के दाम को सस्ता करने के लिए गेहूं 2 रुपए किलो तथा चावल 3 रुपए किलो दिया जाना भी इसके अंतर्गत आता है । सरल शब्दों में कहा जाए तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब लोग जैसे की दिहाड़ी मजदूरों को कोरोना वायरस के इस महामारी के समय के दौरान महामारी से लड़ने के लिए अगले 3 महीने तक खाद्य सामग्री मुफ्त में उपलब्ध करवाना है।

मनोदर्पण अभियान

भारत में कोरोना वायरस के आने के बाद लोगों को काफी परेशानी हुई है जिसका कोई भी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। इस महामारी की वजह से लोगों को मात्र शारीरिक कष्ट नहीं पहुंचा है बल्कि उन्हें मानसिक तनाव का शिकार भी होना पड़ा है।
घर में बंद रहने और ऑनलाइन क्लास की पढ़ाई या फिर घर पर ही ऑफिस का काम करने की वजह से स्कूली बच्चों के साथ उनके पैरेंट्स और शिक्षकों भी तनाव जैसी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।

इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में मनोदर्पण अभियान (Manodarpan Abhiyan) की शुरुआत की जोकि बहुत ही महत्वपूर्ण अभियान है। विशेषज्ञों ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के तनाव को दूर करने के लिए मनोदर्पण अभियान के अंतर्गत कई गाइडलाइंस जारी की है जिससे लोगों को मानसिक तौर पर सुदृढ़ बनाने का काम किया जाएगा। सरकार ने इस अभियान को 20 जुलाई 2020 को लॉन्च किया था।इस अभियान का मुख्य उद्देश्य महामारी के दौरान लोगों को मनोवैज्ञानिक तौर पर सहायता उपलब्ध करवाना है।

स्वनिधि योजना

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की शुरुआत केंद्र सरकार के द्वारा की गई थी। ऐसा इतिहास में पहली बार हो रहा था जब स्वनिधि जैसी कोई योजना शुरू की गई हो। योजना की शुरुआत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बैठक की थी जिसके बाद 1 जून को इस को हरी झंडी दिखाई गई थी। यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत ही है। इस योजना का नाम स्वनिधि (SVANidhi) है यानी की – स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि ( Street Vendor Atmnirbhar Nidhi) । इस योजना का काम सड़क विक्रेताओं यानी कि स्ट्रीट वेंडर्स की मदद करना है। इस योजना की शुरुआत का मुख्य कारण रेहड़ी पटरी पर और सड़क विक्रेताओं को महामारी के दौर में सक्षम बनाना है। लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा असर सड़क विक्रेताओं को हुआ है जिसकी वजह से केंद्र सरकार उनकी मदद करना चाहती है। प्रधानमंत्री के इस योजना के तहत सड़क विक्रेताओं को छोटी राशि का कर्ज उपलब्‍ध कराया जाएगा और इसी के साथ साथ जो कर्ज इन्हे उपलब्ध करवाया जाएगा उस पर ब्याज दर भी कम लगाई जाएगी।

आयुष्मान सहकार योजना

महामारी ने भारत में स्वास्थ्य प्रणालियों की पोल ही खोल कर रख दी है। कोरोनावायरस महामारी के बाद हर कोई इस बात से अच्छे से वाकिफ हो गया होगा कि भारत की स्वास्थ्य सेवाएं अभी भी इतनी मजबूत नहीं हो पाई है क्योंकि गांव तो गांव शहरों में भी पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था यह तो पहले से ही खराब थी या फिर अब खराब हो गईं है। इसी वजह से भारत सरकार ने आयुष्मान सहकार योजना (Ayushman Sahakar Yojana) की शुरुआत की।

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इस योजना के अंतर्गत सहकारी संस्थाओं को ग्रामीण इलाकों में अस्पताल, मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए सहकारी समितियों को 10,000 करोड़ रूपये का कर्ज मिलेगा जिससे स्वास्थ्य प्रणालियों को अच्छा बनाने मदद मिलेगी।यही नहीं इस योजना के तहत सहकारी समितियों को ग्रामीण इलाकों में अस्पताल और शिक्षण संस्थान खोलने का अधिकार दिया जाएगा। इसके लिए ऋण प्रदान किया जाएगा और खास बात ये है की यह ऋण मात्रा 9.6 फीसदी की ब्याज दर पर मिलेगा ।एलोपैथी या आयुष अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, लैब, डाग्यनोस्टिक सेंटर, दवा केंद्र आधिक खोलने के लिए यह ऋण एनसीडीसी द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा।

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