
लखनऊ: अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने आज़मगढ़ उपचुनाव हारने के बाद सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव द्वारा हार का ठीकरा मुसलमानों पर फोड़ने की सख़्त निंदा की है। उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र यादव का यह बयान बताता है कि सपा मुसलमानों को रियाया समझती है जिनकी ज़िम्मेदारी सपा प्रत्याशियों को वोट दे कर जिताने की है। कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आजमगढ़ उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव के सजातीय मतदाताओं ने भाजपा के सजातीय प्रत्याशी को वोट दिया। लेकिन अपनी जाति को सपा में न रोक पाने से उपजी हताशा में वो मुसलमानों को दोषी ठहराकर अपनी नाकामी छुपाना चाहते हैं।
समाजवादी का जातिगत वोटर किधर जाने वाला है?
उन्होंने कहा कि ऐसा ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान देने से पहले उनको सोचना चाहिए था कि विधानसभा चुनाव में तो मुसलमानों ने सपा को एकतरफ़ा वोट दिया था लेकिन मुसलमानों के घरों पर बुल्डोज़र चलने पर अखिलेश यादव और उनकी पार्टी चुप्पी साधे रही। ऐसे में मुसलमान सैफई परिवार के बोझ को और क्यों ढोते। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुसलमानों को समझना होगा कि भाजपा की असली ताक़त सपा के जातिगत वोटर ही हैं जो 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर इस उपचुनाव तक सांप्रदायिक शक्तियों को मजबूत करते आ रहे हैं।
उन्होंने कहा, इन्हें लगता है कि केंद्र में भाजपा मजबूत रहेगी तो विधानसभा चुनाव में डर के कारण मुसलमान इन्हें वोट देता रहेगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सपा-बसपा गठबंधन वहीं जीता था जहां मुसलमान ज़्यादा थे। यहां तक कि धर्मेंद्र यादव ख़ुद यादव बहुल बदायूं से हार गए थे क्योंकि उस समय भी उनके सजातीय वोटर भाजपा के साथ थे। उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र यादव को मुसलमानों पर सवाल उठाने से पहले बताना चाहिए कि 2019 के चुनाव में यादव बहुल बदायूं से वो किन वोटरों द्वारा वोट न देने से हार गए थे। उन्होंने कहा कि आजमगढ़ उप चुनाव के परिणाम से मुसलमानों को समझ लेना चाहिए कि समाजवादी पार्टी का जातिगत वोटर 2024 में किसके साथ जाने वाला है।