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कश्मीर में सिख समुदाय ने दिया धरना, बिना सुरक्षा के नही जाएंगे काम पर

कश्मीर में गैर-मुसलमानों को निशाना बनाने वाली घटनाओं के मद्देनजर कश्मीर सिख एसोसिएशन ने सिख समुदाय से अस्थायी नौकरी नहीं छोड़ने की अपील की है। साथ ही समिति ने सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी सिख कार्यकर्ता तब तक काम पर नहीं जाएगा जब तक सरकार उन्हें पूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं देती।

जम्मू में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए संतों के अधिकारियों ने हमलों की निंदा की और कहा कि लोग हमलावरों से वाकिफ हैं। उन्हें अनजान कहना गलत है। वह इसी इलाके से हैं और लोग उन्हें जानते हैं। गैर-मुस्लिम शिक्षकों को निशाना बनाए जाने के संबंध में साथ में आए अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादियों ने 15 अगस्त को एक आदेश जारी कर कहा था कि स्कूल में तिरंगा फहराने के बदले में हत्या को अंजाम दिया गया। उन्होंने कहा कि चूंकि आतंकवादी बुरहान वानी का पिता बहुसंख्यक समुदाय से था, इसलिए त्राल में तिरंगा फहराया गया तो कुछ नहीं किया गया।

उन्होंने पूछा कि जिन दो गैर-मुस्लिम शिक्षकों को फाँसी पर लटकाया गया था, उनके साथ क्या गलत था? केवल यही प्रिंसिपल सिख थे और दीपक चंद हिंदू थे। दोनों शिक्षक कश्मीर के बच्चों को पढ़ाकर उनके भविष्य को आकार देने की कोशिश कर रहे थे और हम कश्मीर के बहुसंख्यक समुदाय से इन हत्याओं की खुले तौर पर निंदा करने की अपील करते हैं। 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के श्रीनगर भाग जाने के बाद से सिख समुदाय श्रीनगर में बना हुआ है। दूसरी ओर, सरकार ने कश्मीर में गैर-मुस्लिम कर्मचारियों को भी 10 दिनों की छुट्टी दी है। ईदगाह में दो शिक्षकों की मौत के बाद गुरुवार को सरकार ने यह फैसला लिया।

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