
SC ने जारी किए निर्देश , कहा – राज्य सरकार बिल्डरों से मिली ईडीसी से उसी जिले का करे विकास
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि, रियल एस्टेट डेवलपर्स से बाहरी विकास शुल्क के रूप में इकट्ठा की गयी राशि को किसी अलग शहर या जिले में खर्च करने के बजाय उसी क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास में खर्च किया जाना चाहिए।
वसूली के हिसाब से खर्च करे सरकार
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, हरियाणा सरकार को बिल्डरों से प्राप्त किए गए ईडीसी पर नवीनतम आंकड़े और राज्य के विभिन्न जिलों के विकास के लिए खर्च की गई राशि का रिकॉर्ड रखे। यह एक क्षेत्र के निवासियों और डेवलपर्स की एक वैध अपेक्षा होगी कि वे अथॉरिटी को दिए पैसे से अपने क्षेत्र के विकास को देखें। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि, हमारा विचार है कि, विकास कार्यों के लिए में ईडीसी के मुताबिक ही उस क्षेत्र में खर्च होना चाहिए। जहां अधिक खर्च किया गया है, राज्य सरकार को इसे डेवलपर्स से वसूल करना चाहिए। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने हरियाणा सरकार को इस संबंध में चार हफ्ते में एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है।
हरियाणा चैप्टर और कई डेवलपर्स की दायर याचिकाओं पर सुनवाई
दरअसल सुप्रीम कोर्ट, क्रेडाई के हरियाणा चैप्टर और कई डेवलपर्स की दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में राज्य सरकार की ईडीसी की मांग और उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू करने की चेतावनी को लेकर शिकायत की गई थी। वहीं सुनवाई के दौरान पीठ ने विभिन्न जिलों से एकत्र किए गए ईडीसी और बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च किए गए धन के बीच भारी अंतर पर राज्य सरकार से सवाल किया था। पीठ ने पाया कि, गुरुग्राम जिले से ईडीसी के रूप में एकत्र की गई राशि से करीब 7155 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं। उसी तरह फरीदाबाद में कई सौ करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए। वहीं, दूसरी तरफ करनाल, यमुनानगर, पिंजौर जिलों में एकत्र किए गए ईडीसी का दो-तिहाई से अधिक खर्च नहीं हुआ।
ईडीसी का नागरिक सुविधाओं के लिए होता है इस्तेमाल
राज्य सरकार कई नागरिक सुविधाओं को पूरा करने के लिए डेवलपर्स से ईडीसी को एकत्र करती है। और इसका इस्तेमाल किसी एक क्षेत्र की परिधि के भीतर सड़कों, बिजली, जलापूर्ति, सीवर नालियां जैसी नागरिक सुविधाओं के लिए किया जाता है। बिल्डर प्रति वर्ग फुट के आधार पर घर खरीदारों से ईडीसी वसूलता है।