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तालिबान के गिरफ्त से चकमा देकर फरार अफगानिस्तान की सलीमा मज़ारी

तालिबान की नाक के नीचे से फरार हुई अफगानिस्तान की सलीम मज़ारी इस वक्त अमेरिका में हैं. अफवाहों की माने तो बीच में ये अफवाह आई थी कि तालिबान ने उन्हें अपनी गिरफ्त मे ले लिया है, लेकिन ये महज़ अफवाह ही थी. सलीमा मजारी तालिबान की नाक के नीचे से उसे चकमा देकर अफगानिस्तान से बाहर निकाल गई हैं ।

तालिबान ने अफगानिस्तान पर भाले ही अपना कब्जा जमा लिया हो, लेकिन उसके लिए ये रास्ता आसान नहीं रहा । क्योंकि हर मोड़ पर उसका मुकाबला करने के लिए अफगानिस्तान से हमेशा कोई ना कोई तैयार ही रहा. इन्हीं में से एक थीं अफगानिस्तान के एक प्रांत की महिला गवर्नर सलीमा मज़ारी। अफगानिस्तान की गिनी-चुनी महिला गवर्नरों में से एक हैं सलीमा मज़ारी। बीच में खबर आई थी कि सलीमा मज़ारी को तालिबान ने पकड़ लिया है, बाद में उनके मारे जाने की भी अफवाह उड़ी. लेकिन इन तमाम कयासों से दूर सलीमा मज़ारी एकदम सुरक्षित हैं और वो अमेरिका के किसी सुरक्षित स्थान पर हैं। वो यहाँ तालिबान को मात देकर पहुंची हैं। बता दें कि सलीमा मज़ारी लंबे वक्त तक तालिबान की हिटलिस्ट में शामिल रहीं. अफगानिस्तान के जिले चाहर में सलीमा मज़ारी ने तालिबान का लंबे वक्त तक मुकाबला किया।

कैसे निकली अफगानिस्तान से बाहर 

अफगानिस्तान से निकालने की बात पर सलीमा मज़ारी ने अमेरिका में टाइम मैग्जीन को दिए अपने इंटरव्यू में बताया है कि तालिबान ने अफगानिस्तान के चारकिंत जिले में 30 से ज्यादा बार हमला किया था, लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाया था । हालांकि, कुछ वक्त बाद ही काबुल और मज़ार-ए-शरीफ पर उसने कब्ज़ा कर लिया था । सलीमा मजारी साल 2018 में इस इलाके की गवर्नर बनी थीं और वह शुरू से ही सरकार के समर्थन में रहीं और तालिबान का हमेशा विरोध किया । तालिबान ने कई बार उनपर हमला किया और उन्हें मारने की कोशिश भी कि परंतु उन्होंने उसका मुकाबला डट कर किया और जरूरत पड़ने पर बंदूक एवं हथियार भी उठाए ।

जब तालिबान ने मजार ए शरीफ पर कब्जा किया और वो चारकिंत की ओर बढ़ने लगा । तब सलीमा मजारी अपने समर्थकों के साथ उजबेकिस्तान के बॉर्डर पर पहुंचीं ताकि वहां से निकल सके, लेकिन बॉर्डर से निकलने में उन्हें कामयाबी नहीं मिलीं। इसके बाद वो कुछ जगह रुकते रुकाते किसी तरह काबुल के एयरपोर्ट तक पहुंची।ये सफर उनके लिए आसान नहीं था , वो इसलिए क्युकी इस दौरान कई बार बीच में इन्हें तालिबान के लड़ाके भी मिले, लेकिन वह किसी तरह बचकर उनसे निकल पाई ।अंत में 25 अगस्त को सलीमा काबुल से निकल पाईं, यहां से वो अमेरिकी सेना की मदद से उनकी फ्लाइट से कतर पहुंचीं और उसके बाद वहाँ से अमेरिका में एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचीं ।सलीमा मज़ारी का कहना है कि तालिबान के खिलाफ उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई ये अभी भी जारी है , अफगानिस्तान में उन्होंने ने तालिबान का मुकाबला किया और ज़रूरत पड़ने पर बंदूक और हथियार भी उठाए ।

कौन हैं सलीमा मज़ारी 

सलीमा मज़ारी अफगानिस्तान की गिनी चुनी महिला गवर्नरों में से एक हैं जिन्होंने तालिबान का डट कर मुकाबला किया है । वह अफगानिस्तान के चारकिंत जिले की गवर्नर रह चुकी हैं और वो इस जिले के प्रशासनिक कामों को संभालने के साथ साथ अफगानिस्तान की सेना के साथ तालिबान के आतंकियों के खिलाफ बंदूक उठाई है ।जब तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के लोग देश छोड़ कर भाग रहे हैं वही दूसरी ओर सलीमा मज़ारी अपनी सेना खड़ी कर रही थी ताकि वो तालिबान का डट कर मुकाबला कर सकें ।

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