
Russia Ukraine War : नए बदलाव के बाद शुरू होगी मेडिकल की पढ़ाई, जानिए क्या होंगे परिवर्तन
यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। दरअसल एक तरफ इन छात्रों को स्वदेशी मेडिकल कॉलेजों में ही एडमिशन की मांग तेज हो रही है। तो वहीं दूसरी तरफ चिकित्सा संगठन इसका विरोध कर रहा है।
MBBS की पढ़ाई के नियम कानून में बदलाव जरूरी
इसी बीच राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, छात्रों के भविष्य को लेकर फैसले में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी। आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, यूक्रेन से लौटे अधिकांश MBBS के छात्र हैं। विदेश से MBBS की पढ़ाई को लेकर देश में पहले से नियम-कानून हैं। अगर जल्दबाजी के साथ संशोधन किया गया तो आगे चलकर ये बड़ा विवाद भी बन सकता है। हालांकि एनएमसी के इस निर्देश पर छात्रों ने ऐतराज जताया है। दरअसल एनएमसी ने अपने निर्देशों में छात्रों से डॉक्यूमेंट दिखाने की शर्त रखी है। लेकिन यूक्रेन से निकलने के दौरान उनके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं था। न ही कॉलेज से किसी अनुमतिपत्र लेने का समय मिल पाया।
करने होंगे ये अहम बदलाव
बता दें कि, बीते 4 मार्च को एनएमसी ने उन छात्रों की इंटर्नशिप पूरा करने के निर्देश दिए हैं। जो हाल ही में यूक्रेन से वापस आए हैं। इनमें रूस के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे छात्र भी शामिल हो सकते हैं। देश में मौजूदा नियम यह है कि अगर किसी छात्र को एमबीबीएस के लिए एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है तो उसी कॉलेज में उसे कोर्स पूरा करना होगा। इनके कॉलेज में बदलाव नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि यूक्रेन से लौटे छात्रों का मुद्दा काफी गंभीर है। इसे जल्दबाजी में नहीं बदला जा सकता। फीस के अलावा विभिन्न किताबें, अध्ययन सामग्री, परीक्षा पैटर्न इत्यादि को लेकर बदलाव करना पड़ेगा