लखनऊ:आप सांसद संजय सिंह ने देश के सभी ग्रामीण एवं शहरी परिवारों के साथ ही किसानों, मजदूरों, महिलाओं एवं व्यापारियों आदि को फ्री बिजली प्रदान करने का प्रस्ताव रखा हैआप सांसद का कहना है कि देश के संसाधनों से ही बिजली का निर्माण होता है तो देश के लोगों का बिजली पर बराबर हक़ बनता है। सांसद संजय सिंह ने यह प्रश्न खड़ा किया है कि देश में नेताओं को हजारों यूनिट बिजली बिल्कुल मुफ़्त दे दी जाती है तो देश के गरीबों, किसानों, मजदूरों और परिवारों को क्यों यह अधिकार नहीं दिया जा सकता?
हर जगह पर बिजली की बहुतायत माँग है: संजय सिंह
उन्होंने कहा देश में आसमान छूते बिजली के दामों ने गरीब से लेकर अमीर तक और मजदूर से लेकर व्यापारी तक हर व्यक्ति को परेशान कर रखा है। आदमी जितना कमाता है उसका एक बड़ा हिस्सा सिर्फ़ बिजली के बिल चुकाने में चला जाता है। आज व्यक्ति के जीवन में ऐसा कोई काम नहीं है जो बिना बिजली के चल सके। शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, ट्रांसपोर्ट हर जगह पर बिजली की बहुतायत माँग है।ऐसे में बिजली के दाम रोज महंगाई का नया रिकार्ड बना रहे हैं। इसके बाद भी सरकारें बिजली के दामों को बढ़ने से रोकने के बजाय इसका निजीकरण किये जा रही हैं। जिसके कारण बिजली के दामों पर से सरकार का नियंत्रण बिल्कुल ख़त्म सा होता जा रहा है और निजी कंपनियाँ मनमाने ढंग से लोगों के ऊपर बिजली बिल का बोझ बढ़ा रही है।
उन्होंने कहा लोग अपने इस बचे हुए धन को बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कई अन्य जरूरी चीजों में लगा सकेंगे बिजली के अधिकार को मूलभूत अधिकार में शामिल करने से यह सुनिश्चित किया सकेगा कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को चाहे उसकी आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियाँ कैसी भी हों, उसको पर्याप्त एवं सस्ती बिजली का उपयोग करने से वंचित नहीं किया जा सकेगा। केंद्र एवं राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी होगी कि देश के प्रत्येक नागरिक तक अनिवार्य एवं फ्री बिजली की पँहुच सुनिश्चित की जाये। इसके साथ ही यह भी कहा है कि यदि लोगों को राज्यों द्वारा फ्री बिजली मुहैया कराने में जो मुश्किलें आती हैं उनके समाधान की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होगी तथा केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों मिलकर फ्री एवं सस्ती बिजली की निश्चित मात्रा का निर्धारण करेंगी।
सांसद संजय सिंह ने दिल्ली सरकार की बिजली नीति पर विश्वास जताते हुए कहा कि देश की अन्य सरकारों को भी दिल्ली से प्रेरणा लेनी चाहिए कि लोगों के हित में नीतियों को किस प्रकार सरलतापूर्वक अंजाम दिया जा सकता है।