
RBI की रिपोर्ट के अनुसार 2021 में IBC के 24% मामलों में हुई पुनर्प्राप्ति
केंद्र सरकार ने दिवाला कंपनियों से जुड़े मामलों को हल करने के लिए वर्ष 2016 में आईबीसी लागू किया था। यह दिवाला समाधान के लिए एक समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करता है।
आईबीसी से सम्बद्ध मुद्दे :
अत्यल्प पुनर्प्राप्ति : वर्ष 2017 के उपरांत से 363 से अधिक प्रमुख प्रस्तावों में बैंको ने चार विगत वर्षों में औसतन 80 प्रतिशत हेयरकट लिया है। हेयरकट का अर्थ एक उधर करता से वास्तविक और बकाया राशि और उसके द्वारा बैंक के साथ निपटान की गई राशि के मध्य का अंतर है।
इसके विपरीत ऋण वसूली अधिकरणों जैसे पुनर्प्राप्ति के अन्य विकल्पों के माध्यम से पुनर्प्राप्ति की दर मात्र चार प्रतिशत , वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हिट का प्रवर्तन अधिनियम से 26 प्रतिशत और लोक अदालतों से 6 प्रतिशत दर्ज की गई है।
दीर्घावधि से लंबित :
2017 से लगभग 4300 मामलों को आईबीसी के तहत समाधान के लिए स्वीकार किया गया है। इनमें से 8 प्रतिशत का समाधान हुआ है। और 30 % परिसमापन के लिए स्वीकृत हुए हैं जानकी 40 % समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं
- समाधान प्रक्रिया में अत्यधिक विलम्ब : दिवाला समाधान प्रक्रिया जिसका आरम्भ में 180 -270 दिवसों के भीतर पूर्ण होना निर्धारित किया गया था , अब 330 दिनों की विस्तारित समय सीमा से भी अधिक समय में पूर्ण होती है .