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Rajasthan: अगर “दो बच्चों का कानून” बना तो 80% विधायक नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

Rajasthan: यूपी में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उठाए जाने वाले कदम की चर्चा पूरे देश में चल रही है। इसी बीच राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.रघु शर्मा ने “हम दो,हमारा एक” का नारा दिया है।

राजस्थान (Rajasthan ) के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.रघु शर्मा का कहना है कि अब हम दो, हमारे दो का जमाना लद गया। हालांकि, यह बात जरूर है कि यदि यह कानून बनता है तो वर्तमान 80 फीसदी विधायक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाएंगे। अगर 2 संतानों का कानून बने तो आधे विधायकों को चुनावी राजनीति से दूर रहना पड़ेगा।

प्रदेश के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर केंद्र सरकार से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की । खाचरियावास का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है। इस बारे में केंद्र सरकार को सभी दलों के नेताओं से बात करनी चाहिए।

जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कड़े कदम उठाए जाने की चर्चा के बीच प्रदेश के कई मंत्री और विधायक ऐसे हैं, जिनके खुद 4 से लेकर 9 तक बच्चे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक दयाराम परमार 9 बच्चों के पिता है इसपर उनका कहना है कि मैंने दो शादी की हैं और 9 बच्चे कोई ज्यादा है क्या, इस पर बहस करने की कोई जरूरत नहीं है।

वहीं, प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता और दिग्गज बीजेपी नेता गुलाब चंद कटारिया खुद 5 बेटियों के पिता हैं। कटारिया कहते हैं, हमारा जमाना अलग था, मगर अब नई सोच आ गई। पड़ताल में सामने आया कि परमान के जहां 9 संतान है, वहीं बीजेपी विधायक बाबूलाल खराड़ी के 8, कांग्रेस विधायक भरोसी लाल जाटव और बीजेपी विधायक कैलाश मीणा के 7, राज्य सरकार में मंत्री भजनलाल जाटव, बीजेपी विधायक पब्बाराम, शंकर सिंह रावत, समराराम गरासिया और भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायक रामप्रसाद के 8 बच्चे हैं।

जयपुर में राज्य पंचायती राज संघ ने पिछले दिनों एक बैठक आयोजित कर कहा कि राज्य में 29 साल पहले साल, 1992 में जनसंख्या नियंत्रण कानून सख्ती से लागू करने की योजना बनी थी।

इस कानून के तहत राज्य में 2 से ज्यादा संतान वालों को पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक थी। इसके बाद 1997 में स्थानीय निकाय चुनाव में भी 2 बच्चों से ज्यादा वाले माता-पिता के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई थी । चुनाव जीतने के बाद यदि किसी के 2 से ज्यादा संतान हो जाती है तो उसे अयोग्य ठहराने का प्रावधान किया गया।

साल, 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तय किया था कि सरकारी नौकरी पाने वालों के 2 से ज्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए। अगर नौकरी में आने के बाद तीसरा बच्चा हो जाता है तो कार्मिक का 5 साल तक प्रमोशन रोक दिया जाएगा। अगर 3 से ज्यादा बच्चे हो गए तो नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा।

वहीं इस मुद्दे पर संघ का कहना है कि जब पंचायती राज और स्थानीय निकाय में यह प्रावधान है तो 2 से अधिक संतानों के माता-पिता के विधानसभा चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जानी चाहिए। विधायक कानून बनाने वाले हैं, इसलिए इन्होंने खुद के लिए छूट दे रखी है। पूर्व सांसद विष्णु मोदी का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए विधायकों पर 2 बच्चों की अनिवार्यता आवश्यक है।

200 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 198 विधायक हैं। दो सीटों पर उप चुनाव होने हैं। रिकॉर्ड के अनुसार 21 विधायकों के 4-4 हैं। इसी तरह 5 विधायकों 6-6,2 विधायकों के एक के 9,एक के 8, एक के 7 और 4 विधायकों के 6-6 संतान हैं।

46 विधायकों के 3-3,25 के 4-4 संतान है। शेष के 2 संतान है। सीएम अशोक गहलोत के 2, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के 2 और विपक्ष के उप नेता गुलाब चंद कटारिया के 2 संतान है।

प्रदेश सरकार के जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम के निदेशक लक्ष्मण ओला का कहना है कि 2025 जक जनसंख्या की दर 2.1 फीसदी लाने का लक्ष्य है। इसके लिए जागरूकता फैलाई जा रही है। वर्तमान में जनसंख्या वृद्धि दर 2.5 फीसदी है।

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