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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: किसानों को रखना होगा इन बातों का ध्यान, वरना हो सकता है भारी नुकसान

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए किसानों के पास अब  21 दिन शेष। स्कीम से न जुड़ने की इच्छा रखने वाले किसानों के लिए सरकार ने जारी की सूचना।

नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री द्वारा जारी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए किसानों के पास अब  21 दिन की अवधि शेष है। वहीं, जो लोग किसान क्रेडिट कार्ड धारक हैं और इस स्कीम में नहीं जुड़ना चाहते उनके लिए भी सरकार द्वारा एक सूचना जारी की गई है।

सरकार द्वारा जारी सूचना में जो भी व्यक्ति फसल बीमा नहीं करवाना चाहता है उसे 24 जुलाई तक बैंक में लिखित सूचना देकर बताना होगा। वरना बैंक ऑटोमेटिक केसीसी लोन की रकम में से बीमा का प्रीमियम काट लेगा। इस तरह आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री के पीएम फसल बीमा योजना को किसानों के लिए स्वैच्छिक कर दिया गया है, लेकिन बीमा न लेने का आवेदन न करने वाले सरकारी कर्जदार किसानों का संबंधित बैंक द्वारा फसल बीमा कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने बैंक बैंक के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जिस भी किसान की फसल की प्रीमियम का पैसा उसके बैंक अकाउंट से सीधे काटा जा रहा है, उसकी जानकारी किसान को होना भी जरूरी है।

किसानों के साथ बीमा कंपनियों के ठगी के कारण किसानों के फसल नुकसान हो जाती थी जिसके कारण किसान लंबे समय से पीएम फसल बीमा बीमा योजना को सुरक्षित करने की मांग उठाए हुए थें। किसानों के इस मांग को स्वीकार करते हुए मोदी सरकार ने खरीफ सीजन-2020 से इसे स्वैच्छिक कर दिया है।

वहीं इस पूरे मामले में कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि 13 जनवरी 2016 को जब इस स्कीम की शुरुआत की गई थी तब सरकार से कृषि कर्ज लेने वाले किसानों के लिए पीएम फसल बीमा योजना योजना के तहत फसल का इंश्योरेंस करवाना जरूरी था। ऐसे में काफी किसानों के अकाउंट से न चाहते हुए भी पैसा काट लिया जाता था।

मीडिया से वार्ता में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया है कि इस योजना के स्वैच्छिक होने के बाद हर साल देश के करोड़ों किसान इस योजना का फायदा उठा रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर योजना की शुरूआत से दिसंबर-2020 तक किसानों के लगभग 19 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम भरने के बदले में उन्हें लगभग 90 हजार करोड़ रुपये का भुगतान क्लेम के रूप में मिला।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि फसल नुकसान का जोखिम कम करने के लिए इस योजना को बनाई गई है। किसान संगठन के आपत्तियों व सुझाव का निराकरण करते हुए इस योजना में कई बदलाव भी किए गए हैं।

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