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“भारत में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण” पर याचिका दर्ज, कार्रवाही की उठी मांग

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की गई है, जिसमें “मुसलमानों के खिलाफ देश भर में अभद्र भाषा के बार-बार उदाहरण” के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। मुसलमानों के सामाजिक-धार्मिक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद और धार्मिक विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने शनिवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की।

 

याचिका में आरोप लगाया गया है कि हाल के वर्षों में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित घृणास्पद भाषणों में वृद्धि हुई है और देश में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया गया है। 2018 से इस तरह के कथित घृणास्पद भाषणों के कुछ उदाहरण शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस तरह के मामलों में किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

 

याचिका में यति नरसिंहानंद सरस्वती द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण, इस साल अगस्त में जंतर मंतर पर एक रैली में किए गए कथित मुस्लिम विरोधी नारे, गुरुग्राम में सार्वजनिक मैदानों पर साप्ताहिक शुक्रवार की नमाज के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के खिलाफ त्रिपुरा में विरोध प्रदर्शन का हवाला दिया गया है। साथ ही देश में अन्य भाषणों और टिप्पणियों में मुसलमानों के खिलाफ अभद्र भाषा के प्रयोग को उदाहरण के रूप में पेश किया गया है।

 

याचिका में आगे आरोप लगाया गया कि मुसलमानों के खिलाफ अपमानजनक भाषणों के परिणामस्वरूप हिंसा हुई है। यहां तक ​​कि मुसलमानों की हत्या भी हुई है।  साथ ही पुलिस पर मुस्लिम विरोधी भाषणों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया है।

 

 

 

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