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पेपर लीक कांड: माफियाओं के साथ प्रशासन की लापरवाही उजागर, दागी स्कूल बने परीक्षा केन्द्र
केंद्र को डिबार करने की भी संस्तुति माध्यमिक शिक्षा परिषद को भेजी गई थी।
यूपी बोर्ड की परीक्षा में 12वीं के अंग्रेजी विषय का पर्चा लीक होने के बाद से प्रशासन और नकल माफिया के गठजोड़ की परतें प्याज की परतों की तरह खुलने लगी हैं। एक के बाद दूसरे से कनेक्शन का खुलासा हो रहा है। और इसको लेकर परीक्षा की स्थानीय व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लग गया है। दरअसल इस साल सत्यापन के बाद 22 नए केंद्र बनाए गए। इनमें से एक केंद्र ऐसा है जहां 2017 में पेपर लीक हुआ था। यहां तक कि, तत्कालीन डीएम के निर्देश पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने मुकदमा भी दर्ज कराया था। इतना ही नहीं इसे केंद्र बनाने का अनुमोदन भी डीएम के नेतृत्व में बनी कमेटी ने किया।
दरअसल इस साल माध्यमिक शिक्षा परिषद से जिले के 612 स्कूलों ने परीक्षा केंद्र के लिए ऑनलाइन दावा किया था। इनमें 211 परीक्षा केंद्र बनाए गए। और इन केंद्रों के सत्यापन के लिए डीएम की अगुवाई में समिति बनी। समिति ने बोर्ड से 211 केंद्रों में से 22 को मानकों पर खरा नहीं होने के आधार पर बदलने का प्रस्ताव दिया। नए केंद्र में बाबूजी शिवसागर राम इंटर कॉलेज देवरिया खारी भी है। जबकि 2017 में परीक्षा से पूर्व प्रश्नपत्र आउट हुआ था। तत्कालीन जिलाधिकारी यशवंत राव ने कार्रवाई करते हुए विद्यालय के प्रबंधक, प्रिंसिपल, लिपिक और परिचारक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा कर उन्हें जेल भिजवा दिया था।
केंद्र को डिबार करने की भी संस्तुति माध्यमिक शिक्षा परिषद को भेजी गई थी। इसके बावजूद इसी विद्यालय को इस बार स्थानीय स्तर पर परीक्षा केंद्र बनाया गया। जिले के 211 परीक्षा केंद्रों में चार राजकीय, 70 एडेड और 137 वित्तविहीन विद्यालय हैं। जबकि जिले में 30 राजकीय और 91 एडेड विद्यालय हैं। यदि परीक्षा केंद्र निर्धारण से लेकर पेपर लीक मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तो प्रशासन की कलई खुलकर सामने आ जाएगी।