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पूर्व की सरकारों के एजेंडे में नहीं था नदियों का पुनर्जागरण, BJP सरकार में विशेष फोकस: स्‍वतंत्र देव सिंह     

नदियों के संरक्षण को लेकर सिंचाई विभाग में ‘नदी समग्र चिंतन शिविर’ का आयोजन

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश में नदियों के संरक्षण को लेकर सिंचाई विभाग में बुधवार को ‘नदी समग्र चिंतन शिविर’ आयोजित किया गया। इसमें मुख्‍य अतिथि के रूप में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह पहुंचे। छत्र सत्रों में चलने वाले इस शिविर में देश भर से विशेषज्ञ जुटे हैं। नदियों के संरक्षण को लेकर विशेषज्ञों की राय ली जाएगी और एक प्रारूप तैयार करके उसे ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ का नाम दिया जाएगा। इस प्रारूप के आधार पर नदियों को संवारने का कार्य किया जाएगा।

जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने शिविर को संबोधित करते हुए कहा, आप सभी का अपने जनपदों, अपने राज्यों से यहां इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आने के लिए और सरकार को अपना सहयोग एवं अनुभव प्रदान करने के लिए मैं आभार प्रकट करता हूं। आज देश में मोदी जी और प्रदेश में योगी जी के नेतृत्व में चल रही सरकार जल सुरक्षा की दिशा में मिशन मोड में कार्य कर रही है और पूरी संवेदनशीलता से कार्य कर रही है। उन्‍होंने कहा कि हमारे ‘नदीपुत्र’ रमणकांत जी के प्रयासों से आज संत-महात्मा, विशेषज्ञ, समाजसेवी और सरकार हम सब लोग एक ही छत के नीचे आए हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस चिंतन से निकले सुझाव आने वाले समय में नदियों के पुनर्जागरण में लाभकारी साबित होंगे।

रोजगार के अवसर भी देती हैं नदियां

स्‍वतंत्र देव सिंह ने कहा कि जीवन के शुरुआत से अंत तक नदियों का प्राणी जीवन पर उपकार रहता है। नदियों का महत्व जीवन में इस तथ्य से मूल्यांकित किया जाता है कि प्राचीन काल से, मानव जाति का विकास नदियों के किनारे होता रहा है। क्योंकि, मानव को जीवन यापन के लिए जल की उपलब्धता और आवश्यकता दोनों की जरूरत होती है। नदियां सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और अन्य कई रूप से सहायक मानी जाती रही हैं। नदियां हमें जल प्रदान करने के साथ-साथ शुद्ध वातावरण भी देती है। इसके अलावा नदियों से खेतों के लिए सिंचाई का पानी, कुछ क्षेत्रों में पीने के लिए साफ पानी के साथ-साथ मछली पालन जैसे रोजगार के अवसर भी देती है।

जलशक्ति मंत्री ने कहा, सैकड़ों वर्षों से तमाम ऋषियों ने भारत की पवित्र नदियों के किनारे बैठकर ही ज्ञान प्राप्त किया है। आज स्वामी चिदानंद जी भी ऋषिकेश में पवित्र गंगा जी के तट पर ही स्थित अपने “परमार्थ निकेतन आश्रम” से पूरे विश्व को अध्यात्म और पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान प्रदान कर रहे है। उन्‍होंने कहा, भारत में नदियों को माता के रूप में पूजा जाता है। आज हमें नदियों को पूजने के साथ-साथ जनभागीदारी के माध्यम से पुनर्जागृत भी करना है। जन-जन के मन में इस भावना को लाना होगा कि यदि यह नदियां हमारी माता समान है तो इनकी रक्षा करना भी हमारा ही कर्तव्य है।

सपा-बसपा पर साधा निशाना

पूर्व की सरकारों पर निशाना साधते हुए मंत्री स्‍वतंत्र देव सिंह ने कहा कि नदियों का पुनर्जागरण पहले की सरकारों के एजेंडे में दूर-दूर तक नहीं होता था। आज मोदी जी और योगी जी का इस दिशा में विशेष फोकस देखने को मिल रहा है। मां गंगा जी और अन्य नदियों के पानी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए आज देश और प्रदेश एक स्पष्ट रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है। देश की नदियों के जल का सदुपयोग हो, किसानों के खेत तक पर्याप्त पानी पहुंचे, ये सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। उन्‍होंने कहा कि आज मोदी और योगी सरकार पानी के प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ नदियों के किनारे वन लगाने का भी काम कर रही है। कैच द रेन, अटल भूजल योजना, देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण, नदियों को उचित रूप से जोड़ना, जल जीवन मिशन, इन सबका लक्ष्य है “देश के जन-जन को जल सुरक्षा।”

जलशक्ति मंत्री स्‍वतंत्र देव सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन एवं मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में ‘उत्तर प्रदेश सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना’ के माध्यम से श्रद्धेय अटल जी के सपने “नदी जोड़ो परियोजना” को साकार करने वाला देश का प्रथम राज्य बना है। अटल जी के इसी विजन से जुड़कर मोदी जी के नेतृत्व में ‘केन-बेतवा लिंक परियोजना’ के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं केंद्र की सरकार के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसका लाभ आज जन-जन को मिल रहा है। आज समय की मांग है कि हम नदियों को पुनर्जागृत करके उन्हें शहरी जीवन के केंद्र में फिर वापस लाए, जो उस क्षेत्र के विकास को गति प्रदान करेगा।

नदियों के संरक्षण पर प्रभावी योजना की जरूरत

उन्‍होंने कहा कि “नदी समग्र चिंतन” का मूल उद्देश्य नदियों के हर एक पहलू को विस्तार से समझने और उस पर कार्य करने की एक प्रभावी योजना तैयार करना है। नदियों को औद्योगिक प्रदूषण से बचाना, नदियों को सिंचाई के लिए बेहतर उपयोग में लाना, कृषि क्षेत्र में नदियों के महत्त्व को समझना, नदियों को पर्यटन से जोड़ना, नदियों में रह रहे जीवों की रक्षा करना जैसे विभिन्न विषयों पर आज विस्तार से चर्चा होनी है।

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