इस राखी पर भारत की जनता ने चीन को दिया 5 हजार करोड़ का झटका, जानें यहां !
नई दिल्ली : बीते साल की तरह की तरह इस साल भी आज 22 अगस्त 2021 को कोविड के कहर के बाद भी देश भर में रक्षाबंधन पर्व उत्साह के साथ मनाया जा रहा हैं। बीते कुछ साल से चलाए जा रहे अभियानो का परिणाम हैं कि देशभर की बहनों ने भारत में बनी राखी ही अपने भाई की कलाई पर बांधी तथा चीन में बनी राखियों से बायकॉट किया।
रिटेल कारोबारियों के एक संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा यह सूचना दी गई है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की इस साल हिन्दुस्तानी राखी के आह्वान के अंतर्गत देश के 40 हजार से अधिक व्यापारी संगठनों ने देश के सभी शहरों में एक महीने में घरों में काम करने वाली सभी महिलाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं तथा स्लम बस्तियों के निवासी निचले वर्ग की महिलाओं समेत अन्य से हिन्दुस्तान के सामानों से बनी राखियां बड़ी संख्या में बनवाई गई।
चीन को लगा 5 हजार करोड़ का झटका
कारोबारियों ने देशभर में भारतीय राखियां बनाकर चीन को 5 हजार करोड़ से अधिक का झटका दिया। एक अनुमान के मुताबिक विभिन्न राज्यों के व्यापारिक संगठनों के सहयोग से कैट ने करोड़ों की राखियां बनवाई, उन्हीं संगठनों द्वारा व्यापारियों और उनके कर्मचारियों तथा आम जनता को बाज़ारों में दुकानें लगाकर इन राखियों की वितरित किया गया। हर साल देश में करीब 50 करोड़ राखियों की आपूर्ति रहती है।
पहली बार देश में कई प्रकार की खास राखियां बनवाई गई, जिसमें नागपुर में बनाई गई खादी की राखी, जयपुर में सांगानेरी कला वाली राखी, पुणे में खेती के बीज वाली राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊन से बनी राखी, झारखंड के जमशेदपुर में आदिवासी सामानों से बनी राखी, असम के तिनसुकिया में चाय की पत्तियों से बनी राखी, कोलकाता में जूट से बनी राखी।
मुंबई में सिल्क से बनी राखी, केरल में खजूर से बनी राखी, कानपुर में मोती तथा बुंदों से बनी राखी, बिहार में मधुबनी और मैथिली कला से बनाई गई राखी, पुडुचेरी में स्टोन की राखी, बंगलौर में फूलों से बनी राखी विशिष्ट रूप से बनाई गई। इससे भारत की अलग पहचान विभिन्न में एकता की पूर्ण छवि दिखाई देती है।
कैट के इस साल की दिवाली को इस श्रंखला में जोड़ते हुए पूरी तरह ” हिन्दुस्तानी दिवाली” के रूप में मनाने की एलान किया है। दिवाली में इस बार किसी तरह की कोई भी चीनी वस्तु का नहीं उपयोग जाएगी।