
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अंतिम इच्छा पूरी…
उत्तरप्रदेश में कल्याण सिंह के निजी संबंधों को लेकर पार्टी के कई नेता नाराज थे । आपसी लड़ाई तो थी ही, लेकिन वह किसी की परवाह नहीं कर रहे थे । पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से रिश्ते खराब कर लिए, तो सीएम पद से हटाकर उनको केंद्र में मंत्री बनाने का प्रस्ताव देने के कारण पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से रिश्ते खराब हो गए थे. यही नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सार्वजनिक आलोचना करने के बाद 1999 में उनको बीजेपी से निकाल दिया गया था । हालांकि भारतीय जनता पार्टी में वापसी के बाद उन्होंने भावुक होते हुए कहा था, ‘मेरी इच्छा है कि मेरा शव भी बीजेपी के झंडे में लिपट कर श्मशान भूमि की तरफ जाए’ ।
वरिष्ठ पत्रकार उस दौर को याद करते हुए कहते हैं कि राजधानी लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी को नामांकन करना था । बेगम हजरत महल पार्क में कार्यक्रम था । उस कार्यक्रम में भाजपा नेता लालजी टंडन, कलराज मिश्र, राजनाथ सिंह और तत्कालीन मुख्यंत्री कल्याण सिंह मौजूद थे । बाकी नेताओं का संबोधन हुआ, लेकिन कल्याण सिंह को मौका नहीं दिया गया । तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को उस प्रकरण को भूलने में काफी वक्त लगा । उन्होंने बीजेपी पार्टी को छोड़कर अपनी नई पार्टी बना ली । लेकिन कुछ ही दिनों बाद फिर वह बीजेपी में शामिल हो गए ।
2007 में उनको एक बार फिर सीएम पद का प्रत्याशी बनाकर बीजेपी ने चुनाव लड़ा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । कल्याण सिंह ने एक बार फिर अविश्वसनीय और हैरान करने वाला कदम उठाया । उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान सपा के साथ हाथ मिला लिया । सपा के सहयोग से लोकसभा में सांसद हो गए।
फिर उन्होंने उत्तरप्रदेश विधानसभा के 2012 चुनाव में अपनी पार्टी से ही 200 कैंडिडेट उतार दिए । एक भी सीट नहीं मिली । यही नहीं, अपने घर अतरौली में भी दुर्गति हो गई । अतरौली से इनकी बहू प्रेमलता हारीं । यहीं से कल्याण 8 बार जीते थे । जबकि डिबाई से इनके बेटे राजू भैया उर्फ राजवीर सिंह भी हार गए । ना बीजेपी को फायदा हो रहा था ना कल्याण सिंह को ।
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2013 में एक बार फिर कल्याण सिंह की प्रदेश में वापसी हुई । जन क्रांति पार्टी का भाजपा में विलय हुआ । उनको इस बात का एहसास था कि उन्होंने बीजेपी को कितना बुरा-भला कहा है, इसलिए उन्होंने समय के फेर को जिम्मेदार बताते हुए भावुकता के भरा भाषण दिया था ।
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने आरएसएस से अपने बचपन के रिश्तों की याद दिलाई और रो पड़े थे । उन्होंने कहा था, ‘संघ और बीजेपी के संस्कार मेरे रक्त की बूंद-बूंद में समाए हुए हैं, इसलिए मेरी इच्छा है कि जीवनभर मैं बीजेपी में रहूं और जब जीवन का अंत होने को हो, तब मेरी इच्छा है कि मेरा शव भी बीजेपी के झंडे में लिपट कर श्मशान भूमि की तरफ जाए.’ अब वे चिरनिद्रा में हैं और भाजपा के झंडे में लिपटकर ही श्मशान भूमि की तरफ जाएंगे ।
बहरहाल, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज सुबह कल्याण सिंह की इच्छा के अनुरूप भाजपा के झंडे को उनके पार्थिव शरीर पर ओढ़ा दिया । इस दौरान उत्तरप्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी मौजूद थे । यही नहीं, बीजेपी के ध्वज के अलावा कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर पर पूर्व में राष्ट्रीय ध्वज भी चढ़ाया गया था ।