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National Mathematics Day 2021: जानिए कौन थे श्रीनिवास रामानुजन जिन्होंने हासिल की त्रिकोणमिति में महारथ

गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का संक्षिप्त परिचय...

देश में हर साल 22 दिसंबर को भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन के जन्मदिन की याद में राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। हर साल इस दिन श्रीनिवास रामानुजन को गणित के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए याद किया जाता है। और श्रीनिवास रामानुजन के जन्म दिन को भारत सरकार ने गणित दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तो आइये जानते है कि हम क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय गणित दिवस।
क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय गणित दिवस…?
गणितज्ञों की माने तो मानव जीवन के विकास के लिए गणित का बहुत महत्व है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को गणित के प्रति जागरुक करना है। आपको मालूम ही होगा कि, विश्व विख्यात गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने गणित को आसान बनाने और लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ाने की हर संभव कोशिशें की. इतना ही नहीं गणित के टीचरों को इसे आसानी से समझाने के लिए शिक्षित भी किया गया।
क्या है राष्ट्रीय गणित दिवस का इतिहास…!
दरअसल पहले 26 फरवरी 2012 को देश श्रीनिवास रामानुजन की 125वीं वर्षगांठ मनायी जा रही थी। लेकिन उसी साल भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं ने श्रीनिवास रामानुजन की गणित के प्रति समर्पण और विदेशों में भारत को विशिष्ट सम्मान दिलाने को देखते हुए उनको विशेष सम्मान देने के लिए 22 दिसंबर के दिन को राष्ट्रीय गणित दिवस घोषित कर दिया। इसके बाद से ही रामानुजन जी को याद करते हुए हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाने लगा।
कैसे मनाते हैं राष्ट्रीय गणित दिवस?
हर साल 22 दिसंबर को देशभर के शैक्षिक संस्थानों में राष्ट्रीय गणित दिवस उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन विश्वविख्यात श्रीनिवास रामानुजन के योगदान को विशेष रूप से याद करते हुए महत्व को देखने और समझने के बाद, यूनेस्को जैसे विश्वस्तरीय सोसायटी ने भी भारत के साथ जुड़कर गणित के प्रचार-प्रसार में सहयोग देना शुरु कर दिया. प्रयागराज स्थित सबसे प्राचीन विज्ञान अकादमी नेशनल अकाडमी ऑफ साइंस इंडिया हर साल गणित के अनुप्रयोगों और रामानुजन पर कार्यशाला का आयोजन करती है. देशभर के गणित के महान पंडित, विशेषज्ञ और प्रवक्ता इसमें पार्टिसिपेट करते हैं।
गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का संक्षिप्त परिचय…
महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को चेन्नई में हुआ था. जब 3 साल के होने के बाद भी रामानुजन ने बोलना शुरु नहीं किया तो घर वालों को लगा कि वो गूंगे हैं, लेकिन धीरे-धीरे श्रीनिवास जी बड़े होते गए और बोलने भी लगे। इसके साथ ही उनका गणित से लगाव भी सामने आ गया। वो अन्य विषयों में फेल हो जाते थे लेकिन गणित में उनके सौ में सौ नंबर आते थे। और तो और उन्होंने बिना किसी की मदद लिए कई प्रमेय की रचना भी कर डाली। वहीं गणित के प्रति उनका अनुराग देखते हुए उन्हें गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज में आगे की शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप दी गयी। जब वो केवल 12 साल के थे तभी उऩ्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी। 13 साल की उम्र में उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस. एल. लोनी की विश्व प्रसिद्ध त्रिकोणमिति पर लिखित पूरी किताब पढ़ डाली और खुद की मैथमेटिकल थ्योरी बना दी। इसके बाद तो गणित में विशेष योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार से कई सम्मान और पुरस्कार दिए गएय़। उन्होंने कई नए-नए गणितीय सूत्र भी लिखे। और मात्र 33 साल की उम्र में टीबी रोग से ग्रस्त होने के कारण 26 अप्रैल 1920 को उनका निधन हो गया।

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