India Rise Special

उत्तराखंड में बीजेपी की चुनावी तैयारियों की थाह लें रहे राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष

आरएसएस और बीजेपी नेताओं ने बुधवार को समन्वय बैठक में बीजेपी और अन्य संगठनों की नब्ज टटोली और विधानसभा चुनाव, कोरोना, पलायन, प्रवासियों से जुड़े मुद्दों पर चिंतन किया।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के क्लेमेंटटाउन स्थित एक रिजॉर्ट में आयोजित आरएसएस और बीजेपी नेताओं की बैठक तीन सत्रों में चली। बैठक में भाग लेने के लिए आरएसएस के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल और अरुण कुमार जो बीजेपी के समन्वयक भी हैं, खास तौर पर देहरादून पहुंचे।

बीजेपी के केंद्रीय संगठन की ओर से राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने बैठक में हिस्सा लिया। दोपहर बाद के सत्र में सीएम पुष्कर सिंह धामी, बीजेपी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम और सह प्रभारी रेखा वर्मा भी शामिल हुए। बैठक के शामिल नेताओं ने मीडिया से दूरी बनाए रखी।

ये भी पढ़े :-उत्तराखंड में भूस्खलन से तीन नेशनल हाईवे समेत 338 सड़कें बंद

इस बैठक में प्रदेश संगठन की ओर से राज्य के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, प्रदेश संगठन महामंत्री अजय कुमार संध के प्रांत प्रचार प्रमुख युद्धवीर, सह प्रांत प्रचार प्रमुख संजय कुमार, क्षेत्र कार्यवाह शशिकांत दीक्षित समेत विभिन्न संगठनों के सदस्य उपस्थित थे।

सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक में राज्य में पलायन को लेकर चिंता जताई गई। सीमांत गांवों में पलायन रोकने पर जोर दिया गया। प्रदेश के दूरदराज और सीमांत गांवों में संघ की सामाजिक गतिविधियों को बढ़ाने पर जोर दिया गया। उत्तराखंड सरकार के स्तर पर भी वहां बुनियादी ढांचे का विकास और अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाने की आवश्यकता जताई गई। इसके लिए समयबद्ध कार्ययोजना पर काम करने पर जोर दिया गया।

बैठक में घर लौटे प्रवासियों की भी फिक्र
सूत्रों के अनुसार, आरएसएस नेताओं ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में घर लौटे प्रवासियों के बारे में जानकारी ली। आरएसएस की ओर से प्रवासियों के बीच चल रहे सहयोग के कार्यों के बारे में बताया गया। आरएसएस नेताओं का कहना था कि बड़ी संख्या घर लौटे प्रवासियों के सामने आजीविका जुटाना सबसे बड़ी चुनौती है। केंद्र और प्रदेश सरकार की आजीविका आधारित योजनाओं की प्रवासियों को जानकारी दें ताकि वे इनसे जुड़ सके।

बैठक में आरएसएस के एजेंडे में शामिल स्वास्थ्य, शिक्षा, आदिवासी कल्याण, पर्यावरण, पलायन समेत कई अन्य जागरूकता से जुड़ी गतिविधियों को परखा गया। संगठनों से जुड़े नेताओं को कार्य में तेजी लाने पर जोर दिया गया।

Follow Us
Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
%d bloggers like this: