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वैवाहिक बलात्कार मामला : भारत को इस मामले में सावधानी से लेना होगा फैसला – केंद्र
‘मैरिटल रेप’ से जुड़ी एक याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा। केन्द्र ने कहा कि, भारत को इस मामले में सावधानी से फैसला लेने की जरूरत है।
सावधानी से आगे बढ़ने की जरूरत
केन्द्र ने कहा कि, इस मामले में सावधानी से आगे बढ़ने की जरूरत है। हमें आंख बंद करके इस मामले में पश्चिमी देशों का अनुसरण नहीं करना चाहिए। हालांकि, पश्चिमी देशों में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। लेकिन भारत की अपनी समस्याएं हैं। क्योंकि भारत में साक्षरता, आर्थिक कमजोरी, महिला सशक्तिकरण की कमी, गरीबी जैसे इसके कई कारण हैं। इसलिए हमें सावधानी बरतने की जरूरत है।
वैवाहिक बलात्कार को नहीं किया गया परिभाषित
लिखित जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि, हमारे संविधान में वैवाहिक बलात्कार को किसी भी कानून के अंतर्गत परिभाषित नहीं किया गया है। जबकि बलात्कार को आईपीसी की धारा 375 के तहत परिभाषित किया गया है। केंद्र ने कहा कि, इसे अपराध घोषित करने के लिए व्यापक आधार की आवश्यकता पड़ेगी। इसकी समाज में आम सहमति होनी चाहिए। और सबसे पहले हमें ये बताने की आवश्यकता है कि, वैवाहिक बलात्कार क्या होता है।
वैवाहिक बलात्कार को साबित करना आसान नहीं
केंद्र ने कहा कि आईपीसी की धारा 376 के तहत आरोपी को सजा दिलाने के लिए कई प्रावधान हैं। जैसे- चोट के निशान, मारपीट, शरीर के अंगों को जबरन छूना। लेकिन वैवाहिक बलात्कार में इन सबूतों की पुष्टि करना मुश्किल होगा।