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यहां जानें बॉल को स्पिन कराने के आसान तरीके 

स्पिन बोलिंग कैसे करते हैं यह सभी जानना चाहते हैं और निरंतर प्रयास से यह मुमकिन भी है, इस ब्लॉग पोस्ट में मैं आपको स्पिन बोलिंग करने का तरीका बताऊंगा और साथ ही कुछ स्पिन बोलिंग टिप्स इन हिंदी में आपके लिए लाया हूँ। स्पिन बोलिंग टिप्स विद टेनिस बॉल भी हम जानेंगे और साथ ही स्पिन बॉलिंग टाइप्स भी जानेंगे। स्पिन बोलिंग हो या फ़ास्ट बॉलिंग दोनों में गृप की अहम् भूमिका होती है और स्पिन बोलिंग टेक्निक भी दो तरह की होती है एक फिंगर स्पिन और दूसरी रिस्ट स्पिन यानि कलाई का इस्तेमाल कर गेंद को स्पिन कराना।

बॉल को सिलाई के ऊपर से न पकड़े बल्कि सिलाई को क्रॉस में पकडे इसे क्रॉस सीम भी कहते हैं। बॉल को इस तरह से गृप करने से बॉल हाथ से फिसलती नहीं है और स्पिन करने में मदद भी मिलती है क्योंकि इस तरह से बॉल सीधी सिलाई पर टिप नहीं खाती बल्कि क्रॉस सिलाई या बिन सिलाई पर टिप खाए आगे जाती है जिससे बॉल थोड़ा ठहर कर स्पिन होकर बल्लेबाज़ तक पहुँचती है पर जब बॉल सीधी सिलाई पे टप्पा खाती है तो स्किड कर तेज़ जाती है जो फ़ास्ट बॉलर को मदद करती है।

  चार एक्शन बेहद महत्वपूर्ण   

 बोलिंग के लिए ये चार एक्शन बेहद महत्वपूर्ण हैं- रन अप, लोडिंग, बैकफुट लैंडिंग और नॉन बोलिंग आर्म

1. रन अप: लेफ्ट आर्म स्पिनर का रन अप ऐंगुलर नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे आपका डिलिवरी स्ट्राइड स्टंप्स से दूर हो जाता है, जिससे बॉल टारगेट की ओर नहीं जा पाती। दूसरा यह है कि आपको रन अप से ही अपने टारगेट पर नजर रखनी चाहिए।

2.लोडिंग: इसका अर्थ है बॉल को टारगेट की ओर भेजने की तैयारी। बॉल बॉडी के नजदीक और ठुड्डी के पास होनी चाहिए। ऐसा करने से बॉलिंग आर्म का कोर्स पूरा होता है और इससे आपकी फिंगर्स का भी अच्छा इस्तेमाल होने से बॉल की रोटेशन बढ़ जाती है।

3. बैक फुट लैंडिंग: जब आप जंप लेते हैं तो आपको अपना बैकफुट हवा में थोड़ा आगे की ओर धकेलना चाहिए ताकि आप सहज ही रॉक बैक हो जाएं। आपके रॉक बैक होने से डिलिवरी स्ट्राइड ठीक से गिरेगा और जमीनी फोर्स लेकर आप पिवटिंग (पंजे पर धूमने) के साथ अपनी बॉल में ज्यादा स्पिन पैदा कर सकेंगे।

4. नॉन बोलिंग आर्म: नॉन बोलिंग आर्म असल में मूवमेंट स्टार्ट करने का काम करता है। बैट्समैन की तरह ही बोलर के कामयाब होने के लिए उसका बॉडी अलाइनमेंट सही होनी चाहिए। अलाइनमेंट ठीक करने के लिए मैंने बैट्समैनों के लिए मसल्स के इस्तेमाल का जो क्रम बताया था, बोलर को भी उसी क्रम में बोलिंग करनी चाहिए।

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दो प्रकार की होती है स्पिन गेंदबाजी

गेंदबाजी मुख्यतः ऑफ स्पिन और लेग स्पिन के रूप में होती है।ऑफ स्पिनर की गेंदें दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए अंदर तो वहीं बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए बाहर की तरफ जाती हैं।ऑफ स्पिन गेंदबाजी के लिए बीच की उंगुली को प्रयोग में लाया जाता है।लेग स्पिन को कलाई के सहारे कराया जाता है और इसमें गेंद बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए अंदर और दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए बाहर जाती है।

इस तरह ‘दूसरा’ फेंकते हैं ऑफ स्पिनर गेंदबाज

ऑफ स्पिन गेंदबाजों के पास ‘दूसरा’ नाम की एक गेंद होती है जो विपरीत दिशा में स्पिन होती है।इसके लिए गेंद को तर्जनी और अनामिका उंगली के बीच में फंसाना होता है और गेंद छोड़ते समय हाथ का पिछला हिस्सा बल्लेबाज की सिधाई में होना चाहिए।ऐसा माना जाता है कि इसकी खोज सकलैन मुश्ताक ने की है। मुथैय्या मुरलीधरन, हरभजन सिंह और सइद अजमल भी इसका प्रयोग कर चुके हैं।

ऑफ स्पिनर्स का घातक हथियार है ‘कैरम बॉल’

श्रीलंका के पूर्व स्पिनर अजंता मेंडिस ने अपने करियर के शुरुआती दौर में ‘कैरम बॉल’ को मशहूर करने का काम किया था।इस गेंद को फेंकने के लिए गेंद को अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा उंगली के बीच में फंसाना होता है।गेंद को आमतौर पर छोड़ने की बजाय गेंदबाज इसे कैरम स्ट्राइकर की तरह फ्लिक करता है।हाशिल अमला को फेंकी गई रविचंद्रन अश्विन की कैरल बॉल को बॉल ऑफ द सेंचुरी कहा जाता है।
बल्लेबाजों को ‘गुगली’ से चौंकाते हैं लेग स्पिनर्स

भले ही लेग स्पिनर की आम गेंदें ऑफ साइड की तरफ स्पिन होती हैं, लेकिन गुगली विपरीत दिशा में घूमती है।देखने में यह बिल्कुल लेग स्पिन की तरह ही होता है, लेकिन गेंद छोड़ते समय गेंदबाज कलाकारी कर जाते हैं।गेंद को हथेली में इस प्रकार रखा जाता है कि इसकी सीम तीसरी उंगली पर टिकी हो।छोड़ने से ठीक पहले तीसरी और चौथी उंगली से गेंद पर प्रेशर डाला जाता है और कलाई दाएं से बाएं घूमती है।

कुछ लेग स्पिनर्स करते हैं ‘फ्लिपर’ का इस्तेमाल

फ्लिपर गेंद को साधारण लेग स्पिन की तरह ही फेंका जाता है, लेकिन यह काफी कम उछाल लेती है।इसके लिए गेंद को अंगूठे और पहली दो उंगलियों के बीच में दबाया जाता है और सीम के जोड़ को एक्रॉस रखा जाता है।गेंद छोड़ते समय अंगूठा गेंद को आगे क्लिक करता है जिससे कि यह सीधी और नीची रहती है।शेन वॉर्न ने 1994 में एलेक स्टुअर्ट को अदभुत फ्लिपर फेंकी थी।

ऑफ स्पिनर्स फेंकते हैं ‘ऑर्म बाल’

ऑर्म बाल का इस्तेमाल ऑफ स्पिनर या फिर स्लो लेफ्ट ऑर्म गेंदबाजों के द्वारा किया जाता है।ऑर्म बाल को कलाई के गेंदबाजों के स्लाइडर के बराबर माना जाता है।इसे फेंकने के लिए गेंद रिलीज करते समय उसके पीछे के हिस्से को रोल किया जाता है जिससे कि यह सीधी जाए।ज़्यादातर मौकों पर इसे तेजी के साथ फेंका जाता है जिससे कि गेंद के पास स्पिन होने का मौका नहीं रहे।

दोनों तरह के स्पिनर करते हैं ‘टॉप स्पिन’ का इस्तेमाल

टॉप स्पिन एक ऐसी गेंद है जिसका इस्तेमाल लेग स्पिनर और ऑफ स्पिनर दोनों ही बेहद कम करते हैं।उंगलियों के ऊपर से फेंकी जाने वाली यह गेंद ज़्यादा ऊपर नहीं उठती है।टॉप स्पिन गेंद हवा में ही बल्लेबाजी की तरफ स्पिन होती हुई जाती है।

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