
जानें कैप्टन कूल एमएस धोनी के सफलता की कहानी
एमएस धोनी : भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की यहाँ क्रिकेट को धर्म और क्रिकेटर को भगवान का दर्जा दिया जाता है और अगर बात की जाए, इस खेल के कप्तान की तो आप, खुद ही सोच लीजिये की उसके ऊपर, पूरे देश का कितना दबाव होता होगा| आज हम यहाँ पर जिस शख्स के बारे में बताने जा रहें हैं, उनके निर्णयों की तो, दाज देनी होगी जिन्होंने इतने दबाव के बावजूद भी, अपनी कप्तानी में भारत को, एक दिवसीय अन्तराष्ट्रीय विश्व कप और टी-20 विश्वकप के जीत के साथ ही साथ, बहुत सी ऐसी जीतें दिलाई हैं जो भारतीय क्रिकेट के लिए एक सपना सा लगने लगा था| कैप्टेन कूल ने क्रिकेट इतिहास में, ऐसे ऐसे रिकार्ड्स बना डाले हैं की, हर भारतीय खिलाड़ी और क्रिकेट को पसंद करने वाला, उन पर गर्व करता है और रहेगा।
महेंद्र सिंह धोनी की सफलता अपने आप में एक मिशाल है. न केवल क्रिकेट के खेल में, बल्कि दुनिया भर के तमाम खेलों में सफल खिलाड़ियों की कसौटी पर उन्हें कसा जा सकता है. एक सफल कप्तान के रूप में हर भारतवासी उन्हें प्यार करता है, पर क्या आप जानते हैं कि एम एस धोनी की सफलता इससे कहीं आगे बढ़कर है. आइये उनकी सफलता के कुछ पहलुओं को समझने का प्रयत्न करते हैं:
बेहतरीन कैप्टन के साथ बेहतरीन ब्रांड मैनेजर
बेहतरीन खेल के साथ अपनी ब्रांड वैल्यू को किस तरह से ऊंचाई पर पहुंचाया जाए, इसके बारे में समझने के लिए एम एस धोनी से बेहतर कोई और नहीं! इस देश में कई ऐसे खिलाड़ियों की खबरें अक्सर ही आती हैं, जिसमें बताया जाता है कि खिलाड़ी के अपने खेल में अच्छा होने के बावजूद, उसके पास आर्थिक तंगी बनी रही! ऐसे तमाम खिलाड़ियों को महेंद्र सिंह धोनी की तरफ एक बार देखना चाहिए.

खेलों के प्रति लोगों की सोच बदल दी
निश्चित रूप से इस बदली ‘सोच’ के कई पहलू हैं. पहले क्रिकेट बड़े शहरों के खिलाड़ियों के लिए एक तरह से आरक्षित हो गया था, किन्तु छोटे शहर से आए माही द्वारा इस खेल में नए कीर्तिमान गढ़े जाने से बड़ा परिवर्तन आया है. अब न केवल क्रिकेट में, बल्कि प्रत्येक खेल में बड़े-छोटे शहरों का अंतर काफी कम हो गया है. इसका बड़ा श्रेय एम एस धोनी को दिया जा सकता है.
Success story of ms dhoni Biography of ms dhoni in hindi
महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट में कमांडों क्रिकेट क्लब में के खेलने लग गए, उस क्लब ने उन्हें अंडर 16 वीनू माकंड क्रिकेट ट्रॉफी में खेलने का मौका दिया. वहा उन्होंने बढ़िया प्रदर्शन किया और कहा “मुझे इससे भी बढ़िया खेलना है,क्योकि मेरा सपना देश की टीम में खेलना का है”
फिर उन्हें बिहार से खेलने का मौका मिला, वहा उन्होंने एसा जलवा दिखाया की सीधे टीम इंडिया में सिलेक्शन मिल गया. उसके बाद 2004 में उन्होंने कई बेहतरीन शतकीय पारिया खेली और राष्ट्रीय टीम के लिए दावा ठोक दिया.
Early career of MS dhoni in hindi
महेंद्र सिंह धोनी ने दो से तीन साल 2001-2003 तक खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन टिकट टीटी ई का काम किया है. वहां पर वह अपने सपने को मारकर जॉब कर रहे थे, लेकिन उनका सपना जिंदा था और वह जॉब टाइम ख़तम हो जाने के बाद क्रिकेट की प्रैक्टिस करते रहते थे.
उनका 1998 में बिहार क्रिक्रेट टीम में selection हुआ है, उस समय महेंद्र सिंह धोनी कक्षा 12 वी में थे. वह वहां पर प्रोफ़ेशनल रूप से स्कूल के लिए क्रिकेट खेलते थे. उसके बाद धोनी को बिहार अंडर 19 टीम में सेलेक्ट कर लिया गया था और 1998-99 के सीजन में east zone under 19 CK Nayadu ट्रॉफी में शामिल थे.
Ranji Trophy and jharkhand Cricket team
धोनी ने 1999-2000 में बिहार रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया और वह लगातार तीन साल तक बिहार टीम के लिए खेलते रहे. वहां पर उन्होंने अच्छी परफॉर्मेंस किया है, और रणजी ट्रॉफी में अर्ध शतकीय पारी खेली और वह झारखंड में 2003 में अच्छे खेले वहां से उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने की इच्छा जताई प्रकाश पोदार ने धोनी कि परफॉर्मेंस देखते हुए भारतीय क्रिकेट टीम को एक पत्र लिखा.
Entry in india cricket team
महेंद्र सिंह धोनी को 2003-2004 के सीजन में भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिल गई, जब भारतीय क्रिकेट टीम जिम्बावे के टूर पर थी. वहां पर उन्होंने लगातार अच्छी से अच्छी परफॉर्मेंस कर के भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली का ध्यान अपनी तरफ खींचा.
एमएस धोनी ODI Career
जब धोनी ने भारतीय क्रिकेट टीम में अच्छी परफॉर्मेंस की तो उनको वन डे क्रिकेट में जगह मिल गई और उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ odi में सेलेक्ट किया गया. उसके बाद महेंद्र सिंह धोनी को पाकिस्तान के साथ मैच में भी सेलेक्ट किया लेकिन वह वह अच्छी परफॉर्मेंस नहीं कर पाएं उनको सफलता नहीं मिली.
जब 2005 में श्री लंका के ODI दौर पर महेंद्र सिंह धोनी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ वहां उन्होंने अच्छी परफॉर्मेस की ओर 145 बॉल्स में 183 रन की नोट आउट पारी खेल कर भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली. उसके बाद धोनी ने ODI में अच्छी परफॉर्मेंस की है.
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विवादों से दूरी
हालाँकि, महेंद्र सिंह धोनी को कई बार विवादों में खींचने की कोशिश की गयी, मसलन सौरव गांगुली, वीरेंदर सहवाग और युवराज सिंह से विवाद! इसी तरह कभी बीसीसीआई के चीफ रहे एन. श्रीनिवासन और आईपीएल में उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स के विवादों के साथ भी उनका नाम जोड़ा गया. इन सबके बावजूद अनावश्यक विवादों से खेल का यह महायोद्धा दूर ही रहा! ऐसे “जेंटलमैन गेम” कहे जाने वाले क्रिकेट के नाम को धोनी ने सार्थक भी किया है. कप्तानी के तौर पर एम एस धोनी का अद्भुत रिकॉर्ड आप ही बहुत कुछ कह देता है और यह इसीलिए संभव हो सका, क्योंकि एम एस धोनी ने विवादों से दूर रहने की भरसक कोशिश की है.
बुराइयों से बचाव
कहते हैं, एक तो ऊंचाई पर चढ़ना कठिन होता है, किन्तु उस से भी कठिन होता है ‘ऊंचाई पर बने रहना’! बेशक खेल की दुनिया में हमारा देश आगे कदम बढ़ा रहा है, किंतु विवादों से दूर रहकर, गुटबाजी से दूर रहकर, व्यर्थ की बुराइयों (नशा, मारपीट इत्यादि) से बचकर अपने ब्रांड को कैसे मैनेज किया जाना चाहिए, इस फील्ड में धोनी ने हर क्षेत्र के खिलाड़ियों को राह दिखलाने का कार्य किया है. वह लोग जो थोड़ी सी शोहरत, दौलत मिलते ही बहक जाते हैं, वहीं दौलत-शोहरत की बुलंदी पर होने के बावजूद धोनी अपने पैर ज़मीन पर टिकाये रहे!
संघर्ष के बिना कुछ भी नहीं
पिछले साल ही महेंद्र सिंह धोनी की जिंदगी पर बनी मूवी ‘एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ आई, जिसमें दिखलाया गया था कि उनकी जिंदगी शुरुआत से ही इतनी सफल नहीं थी, बल्कि उसके लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया. किस तरह एक मध्यम वर्गीय लड़का नौकरी और रोजी-रोजगार के चक्करों में उलझकर अपनी राह से भटक जाता है, किन्तु अपार लगन से वह वापसी भी कर सकता है, यह धोनी की बायोपिक में सुन्दर ढंग से दर्शाया गया है. भारतीय क्रिकेट में तमाम खिलाड़ी आएंगे और जाएंगे पर क्रिकेट के तमाम फोर्मेट्स में धोनी ने इंडियन क्रिकेट टीम को निर्विवाद रुप से शीर्ष जिस प्रकार बनाए रखा है, वह आने वाले क्रिकेट खिलाड़ियों और कप्तानों को लंबे समय तक चुनौती देती रहेगी!
भविष्य का नेतृत्व तैयार करने में सहयोग
महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी रिटायरमेंट के बाद बयान दिया कि ‘उन्होंने विराट कोहली के एक कप्तान के तौर पर तैयार होने का इन्तजार किया और उसके बाद रिटायरमेंट लिया.’ धोनी का यह बयान समझने वालों के दिल को छू लेता है. कहाँ तो लोगबाग कुर्सी से चिपके रहने को मृत्युपर्यन्त तक अपना अधिकार समझते हैं और कहाँ धोनी जैसे महायोद्धा अपने नेतृत्व में भविष्य की राह खोजते हैं. अच्छी बात यह भी है कि कप्तानी छोड़ने के बाद 2019 का विश्व कप कोहली की कैप्टनशिप में खेलने की इच्छा माही ने व्यक्त की है. अन्यथा जूनियर के नेतृत्व में सीनियर, वह भी धोनी जैसा बड़ा नाम खेले, ऐसे उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं. इसके पीछे शायद यही सोच रही होगी कि वर्ल्ड कप के लिए नए कप्तान को तैयारी का भरपूर समय मिले तो माही ने अपने विस्तृत अनुभव को भी नए कैप्टन के प्लान के हिसाब से उपलब्ध रखने का विकल्प खुला छोड़ दिया है!