जानिए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में क्यों नहीं किया जाता EVMs से मतदान ?
नई दिल्ली : राष्ट्रपति पद को लेकर संसद भवन और राज्य विधानसभाओं मतदान प्रक्रिया शुरू हो गयी है. इसके साथ ही आज चार हजार से अधिक सांसद और विधायक अपना मत देने वाले है. संसद भवन में लगाए गये बूथ में 776 सांसद ने अपना मतदान देने वाले है. लेकिन क्या आपको पता है कि राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव की ख़ास बात क्या है? आपको पता है राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान के लिए इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVMs) का प्रयोग नहीं किया जाता है. इसमें बैलट पेपर यानि मतपत्र के जरिए वोटिंग हो रही है. लेकिन EVMs का इस्तेमाल न करने की क्या वजह है वो हम आपको इस खबर के जरिये बताने वाले है……
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भारत में राष्ट्रपति चुनाव और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए ‘सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम’ प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें वोटर का एक ही वोट गिना जाता है, जिसमें अन्य उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकता के आधार पर चुनता है। दूसरे शब्दों में बैलेट पेपर में वोटर अपनी पहली, दूसरी, तीसरी पसंद का चुनाव करता है। इसके लिए वोटर को बैलट पत्र पर दिए गए उम्मीदवारों के नाम के सामने कालम 2 में अपनी पसंद और प्राथमिकता के अनुसार 1,2,3, 4, 5 देना होता है।
विधायकों और सांसदों के वोटों की वेटेज अलग-अलग होती है। विभिन्न राज्यों के विधायकों के वोटों की भी वेटेज अलग-अलग होती है। आपको बता दे की ये पंद्रहवें राष्ट्रपति का चुनाव हो रहे है। देश के इस अहम पद के लिए NDA की ओर से द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं वहीं यशवंत सिन्हा विपक्ष के उम्मीदवार हैं। हालांकि द्रौपदी मुर्मू को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। बता दें कि वोटों की गिनती के बाद 21 जुलाई को नतीजे का एलान होगा और नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 25 जुलाई को होगा।
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अपनी पसंद के उम्मीदवारों के नाम के आगे वोटर बटन दबाते हैं और उनके इसी वोट की गिनती होती है। चुनाव आयोग की पत्रिका ‘माई वोट मैटर्स’ के अगस्त, 2021 के अंक के अनुसार 2004 से अब तक चार लोकसभा और 127 विधानसभा चुनावों में EVM का इस्तेमाल किया जा चुका है।