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जानिए उत्तराखंड में क्यों लगाना पड़ा “नो एडमिशन” का बोर्ड

उत्तराखंड। उत्तराखंड में कोरोना काल में आर्थिक दिक्कतें झेल रहे लोगों अपने बच्चों का नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में एडमिशन कराने की शुरुआत की है। जिसकी वजह से सरकारी स्कूल में छात्रों की संख्या काफी बढ़ गई है। इसको लेकर बोलते हुए राज्य सरकार में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बताया कि,  “साल में रिकार्ड 56172 छात्र बढ़े हैं।पहली बार ऐसा हुआ जब अधिकतर सीबीएसई से संबद्ध सरकारी स्कूलों में नो एडमिशन का बोर्ड लगाना पड़ा।”

 

 

राज्य में इन दिनों तीन हजार से अधिक निजी विद्यालय बंदी की कगार पर है। इनमें से  दस या इससे भी कम छात्र संख्या है, लेकिन कोरोना काल में विभाग के लिए कुछ राहत की खबर है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक़ , “प्रदेश के 189 स्कूलों को अटल उत्कृष्ट स्कूल बनाया गया। इन स्कूलों को सीबीएसई की मान्यता दिलाई गई। इसका परिणाम यह हुआ कि निजी स्कूलों को छोड़कर कई अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों में बच्चों के एडमिशन करवाए। अवसर मिला तो प्रदेश के हर विकासखंड में मानकों को पूरा करने वाले स्कूलों को सीबीएसई से मान्यता दिलाई जाएगी। मंत्री ने कहा कि शिक्षा गुणवत्ता में प्रदेश को देश में पहले स्थान पर लाया जा सके इसके लिए हर स्कूल में शिक्षकों की तैनाती के साथ ही छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जाएगा।”

 

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