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जानिए आखिर क्यों बूस्टर डोज से दूरी बना रहे है लोग, अब तक सिर्फ 44 हजार लोगों ने ही कराया टीकाकरण

अमृतसर । कोरोना महामारी के बचाव का एक मात्र जरिया टीकाकरण ही है। विश्व भर में भारत में सबसे बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियाम चलाया गया हैं । जिसमें लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा भी लिया। पहली और दूसरी डोज कर बाद बूस्टर डोज लगाई जा रही है। लेकिन बूस्टर डोज लगावाने को लेकर लोगो में सुस्ती देखी जा रही हैं ।

शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने कही ये बात

वैक्सीन को लेकर शोध करने वाले वैज्ञानिकों की माने तो निष्कर्ष निकाला कि, बूस्टर यानी तीसरी डोज लगवाना जरूरी है, क्योंकि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता और विकसित होने के साथ साथ काफी समय तक बरकरार रहेगी जो कोरोना वायरस से लड़ने में सहायक सिद्ध होगी। इसी वर्ष 10 जनवरी को सरकार ने बूस्टर डोज लगाने का क्रम शुरू किया था। जिले की 26 लाख आबादी में से 14,88,193 को दोनों डोज लगी हैं। इन सभी को बूस्टर डोज भी लगनी है। यह जानकर हैरानी होगी कि तीन महीनों में 14 लाख में से महज 44,406 लोगों ने ही बूस्टर डोज लगवाई। यह बहुत बड़ा अंतर है।

 

जिले में 12 से 14 आयु वर्ग के एक लाख आठ हजार किशोर व बच्चे हैं। अब तक महज 35,310 को पहली डोज लग पाई है। दूसरी डोज लगवाने वालों की संख्या महज 521 है। इसी प्रकार 15 से 17 आयु वर्ग के किशोरों की गिनती एक लाख 12 हजार है। इनमें से 78,824 को पहली डोज व 35,580 को दूसरी डोज लगी है। स्वास्थ्य विभाग ने ढाई साल में अपनी पूरी ताकत कोरोना से निपटने व लोगों को वैक्सीन रूपी कवच पहनाने में लगा दी, पर लोग जानबूझकर टीकाकरण के लिए आगे नहीं आ रहे। कोरोना की चौथी लहर का खतरा मंडरा रहा है। सरकार ने मास्क पहनना अनिवार्य किया है, वहीं स्वास्थ्य विभाग भी नई कोरोना नीति तैयार करने में जुटा है।

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