जानें क्या है बैडमिंटन का इतिहास, ये हैं खेल के नियम
बैडमिंटन एक रोचक और खूबसूरत खेल है। यह पोस्ट बैडमिंटन खेल का इतिहास, नियम और जानकारी के बारे में है। यह खेल शारीरिक क्षमता को दर्शाने और साबित करने का एक जरिया है। बैडमिंटन पूरी दुनिया में खेला जाता है। भारत में भी यह खेल काफी लोकप्रिय है। बैडमिंटन Badminton खेल का इतिहास ज्यादा पुराना नही है।
यह खेल ब्रिटिश शासन के दौरान खेला जाता था। ब्रिटिश अफसर बैडमिंटन से मिलते जुलते खेल को खेला करते थे जिसे शटलकॉक कहा जाता था। इस खेल में कॉक की जगह ऊन से बनी गेंद का उपयोग किया जाता था। यह 1870 के आसपास का समय था। पहले इस खेल को अधिकतम 4 – 4 लोग खेला करते थे लेकिन बाद में इसे सिंगल्स और डबल्स में कर दिया गया।
वर्ष 1934 के आसपास “बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन” की नींव रखी गयी और इस खेल के कई नियम बनाये गए। इस फेडरेशन के संस्थापक सदस्यों में आयरलैंड, फ्रांस, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैंड प्रमुख देश थे। वर्ष 1936 में ब्रिटिश भारत भी बैडमिंटन खेल के फेडरेशन का सदस्य बन गया था।
जानें नियम
बैडमिंटन में शटलकॉक का इस्तेमाल किया जाता है। कॉक में 16 पंख होते है जो करीब 70 मिलीमीटर लंबे और बराबर होते है। इसको आम भाषा में “चिड़ियां” भी कहा जाता है। बैडमिंटन खेल में महिला और पुरूष दोनों भाग ले सकते है। यह खेल सिंगल्स और डबल्स में खेला जाता है। सिंगल्स में दोनों तरफ 1-1 खिलाड़ी होते है और डबल्स में 2-2 खिलाड़ी होते है।
बैडमिंटन खेलने के लिए दो लोगों की आवश्यकता जरूर होती है. इसमें एक-दूसरे के मध्य शटलकॉक का आदान-प्रदान होता है. इस दौरान दोनों ही खिलाड़ियों के बीच एक नेट लगी होती है. नेट के दोनों ओर खिलाड़ी खड़े होते हैं. शटलकॉक को रैकेट की मदद से एक-दूसरे तक पहुंचाया जाता है.
– खेल के दौरान यदि कोई खिलाड़ी शटलकॉक को दूसरे खिलाड़ी तक पहुंचाने में अमसर्थ हो जाता है तो सामने वाले खिलाड़ी को एक अंक मिल जाता है.
– बैडमिंटन का एक मैच कुल 3 भागों में खेला जाता है. हर भाग 21 अंकों का होता है. यदि मन लीजिए इस दौरान दोनों ही टीम या खिलाड़ियों को 20-20 अंक प्राप्त होते है, तो यह खेल तब तक चला है, जब तक कि दूसरी को अधिक अंक न मिल जाए. वहीं जो टीम अधिक अंक पा लेती है, वह इसकी विजेता होती है.
– यह खेल युगल में भी खेला जाता है और युगल के कोर्ट की लंबाई 44 फीट और चौड़ाई 20 फीट होती है.
– बैडमिंटन को सीमेंट के पक्के फर्श या फिर लकड़ी के बने हुए कोर्ट पर खेलते हैं. हालांकि आम तौर पर इसे घास के मैदान या मिट्टी के मैदानों में भी खेला जाता है.
– रैकेट, शटलकॉक और नेट के अलावा इस खेल के प्रमुख उपकरणों में और भी कई चीज शामिल की जाती है. इनमें जाल की लंबाई 6.99 मीटर, कोर्ट की केंद्र से ऊंचाई 1.50 मीटर, रैकेट की लंबाई 27 इंच, फ्रेम की लंबाई 11 इंच, वजन 85 से 140 ग्राम, चौड़ाई 9 इंच, शटल कॉक (चिड़ी) का वजन 4.73 से 5.50 ग्राम,परिधि 6.4 से 7 से.मी. की होती है.
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बैडमिंटन खेल का मैदान
- इस खेल का मैदान आयताकार क्षेत्र का होता है, जो कोर्ट के नाम से प्रचलित है | वहीं, कोर्ट की लंबाई 44 फीट तथा चौड़ाई 17 फीट रखी जाती है | लंबाई के मध्य की रेखा से यह क्षेत्र दो भांगों में विभाजित कर दिया जाता है|
- इसके अलावा मध्य रेखा से दोनों ओर एक-एक रेखा मध्य रेखा के समांतर होती है, जिसे शॉर्ट सर्विस रेखा के नाम से जाना जाता है |
- इसके बाद इस रेखा के मध्य से पुनः दोनों कोर्ट को दो-दो भांगों में बाँट दिया जाता है, जिन्हे दायां सर्विस कोर्ट व बायां सर्विस कोर्ट कहते है |
- यह खेल सीमेंट के पक्के फर्श या लकड़ी के बने हुए कोर्ट पर खेला जाता है| सामान्य रूप से घास के मैदान या मिट्टी के मैदानो का भी प्रयोग प्राथमिक स्तर पर किया जा सकता है |
- युगल के कोर्ट की लंबाई तो 44 फीट रहती है और इसकी चौड़ाई 20 फीट रखी जाती है|
- सर्विस कोर्ट के पीछे 21/2 फीट के गैलरी तथा 11/2 फीट की साइड गैलरी रखी जाती है|
- प्रतियोगिता के आयोजन के द्रष्टिकोण से इस खेल में कई उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे-जाल जिसकी लंबाई 6.99 मीटर, कोर्ट के केंद्र से ऊंचाई 1.50 मीटर, रैकेट के लंबाई 27 इंच, फ्रेम की लंबाई 11 इंच, वजन 85 से 140 ग्राम, चौड़ाई 9 इंच, शटल कॉक (चिड़ी) का वजन 4.73 से 5.50 ग्राम,परिधि 6.4 से 7 से.मी. होती है |