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जानिए मकर संक्रांति के दिन सफेद तिल दान करने से क्या होते हैं फायदे..?
‘सेसमम इंडिकम’ नाम के पौधे पर फली में उगने वाला तिल सेहत के लिए काफी लाभदायक होते हैं। तिल के पौधे की किस्म या नस्ल के आधार पर इनके बीज कई रंगों में आते हैं। जैसे सफेद, काले तिल और भूरे रंग के बीज। आमतौर पर सफेद तिल का छिलका उतार कर उसका इस्तेमाल करते हैं। जबकि भूरे और काले तिल छिलके सहित प्रयोग किए जाते हैं।
आयरन से भरपूर है सफेद तिल

सफेद तिल में आयरन की मात्रा ज्यादा पायी जाती है। और इसका उपयोग ज्यादातर भोजन में या तेल के रूप में किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ काला तिल स्वाद में ज्यादा बेहतरीन होते हैं। और खुशबू भी होती है। खाने के साथ ही दवाओं में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। सफेद तिल की तुलना में इनमें 60% ज्यादा कैल्शियम होता है।
विटामिन बी का स्त्रोत

तिल के बीज में विटामिन-बी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। दरअसल हमारा शरीर विटामिन-बी स्टोर नहीं कर सकता है। इसलिए हमें इसे आहार और सप्लीमेंट्स के जरिए लेने की जरूरत होती है। तो अलग-अलग तरीकों से तिल के बीज खाना फायदेमंद रहेगा।
एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर

बता दें कि, तिल में लिग्नान एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करते हैं, जो ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा तिल में विटामिन-ई का एक रूप होता है। जिसे गामा-टोकोफेरोल कहा जाता है जो खासतौर से दिल की बीमारियों को दूर रखता है।
तिल में है फाइबर का खजाना

अच्छे पाचन से लेकर मोटापा घटाने के लिए फाइबर को सबसे जरूरी माना जाता है। तिल में फाइबर भरपूर में पाया जाता है। तिल के सिर्फ 3 बड़े चम्मच फाइबर के रोजाना आपूर्ति का 12% प्रदान करते हैं। इसके अलावा तिल के बीज में अच्छी मात्रा में मैग्नीशियम होता है। जो ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा तिल में मौजूद विटामिन ई, लिग्नान और अन्य एंटीऑक्सिडेंट धमनियों में प्लाक बिल्डअप को रोकने में भी मदद कर सकते हैं।
तिल करता है कोलेस्ट्रॉल कम

कई शोधों में पता चला है कि, संतृप्त वसा के सापेक्ष अधिक पॉलीअनसेचुरेटेड और मोनोसैचुरेटेड वसा खाने से कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। तिल के बीज में 41% पॉलीअनसेचुरेटेड वसा, 39% मोनोअनसैचुरेटेड वसा और केवल 15% संतृप्त वसा होता है।