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कल्याण सिंह जी ने उत्तर प्रदेश की कमान संभालते ही दिया था चित्रकूट को उसका नाम वापस

चित्रकूट : सूबे के पूर्व सीएम एवं राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का श्रीराम की तपोभूमि से भी गहरा जुड़ाव रहा हैं। वह दो बार मुख्यमंत्री रहते हुए चित्रकूट आए और चित्रकूट का नाम उन्होंने वापस लौटाया था। चित्रकूट के निवासियों का भी कल्याण सिंह से विशेष लगाव था। उनके निधन से आज चित्रकूट में शोक की लहर है।

बांदा जिले से अलग कर छह मई 1997 को बांदा जिले से अलग कर छत्रपति शाहू जी महाराज नगर के नाम से उस वक्त की तत्कालीन सीएम मायावती ने नया जिला बनाया था। इसमे कर्वी व मऊ तहसील शामिल थीं। जिस जिले से दूर-दूर तक शाहू जी महराज का कोई वास्ता ही नहीं रहा उसके बाद यह नाम देना यहां के लोगों पसंद नहीं आया।

जिलें में नाम बदलने की मांग उठते ही कल्याण सिंह ने एक साल बाद जब सूबे की कमान संभाली तो उन्होंने जिले का नाम चार सितंबर 1998 को बदल कर चित्रकूट कर दिया था। कल्याण सिंह का मानना था कि छत्रपति शाहू जी महराज से चित्रकूट की पहचान खत्म हो जाती, क्योंकि भगवान राम ने यहां 11 साल छह माह 18 दिन बिताएं थे।

पूर्व सीएम दीनदयाल शोध संस्थान के तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र 1998 में गनीवां आए थे। उन्होंने तभी जिले का नाम बदलने का एलान कर दिया गया था। गनीवां को इसके साथ ही ब्लाक बनाने का भी एलान किया था। पर वह पूरा न हो सका। बीजेपी का जिला उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल का कहना हैं कि चित्रकूट से बाबू जी को बेहद प्यार था।

सीएम होते हुए दो बार व तीन बार बिना सीएम पद पर रहते हुए यहां पर आए थे। एक बार राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाने के बाद यहां आए थे। वह कहते हैं, राममंदिर आंदोलन के समय कल्याण सिंह को मुलायम सिंह की सरकार में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त वह अयोध्या जा रहे थे।

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