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Jharkhand: तड़ीपार किए गए कांग्रेस के कद्दावर नेता की दोबारा होगी धमाकेदार एंट्री, जानें कैसे

अपने दमदार तेवर के चलते झारखंड (Jharkhand) की पूर्ववर्ती सरकार के निशाने पर चल रहें कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता योगेंद्र साव (Yogendra Saw) अब बहुत जल्द ही जेल के बाहर आ सकते हैं। बता दें कि योगेंद्र साव के खिलाफ लगभग आधा दर्जन से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें अबतक कोई सबूत पुलिस के हाथ नहीं लगा है। अपराध अनुसंधान विभाग की जांच रिपोर्ट में भी साव को क्लीनचिट दी गई है और इसी के आधार पर पुलिस ने दो दारोगा के खिलाफ केस दर्ज किया है।

जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि राजनीतिक दबाव में दोनों ने साव के खिलाफ मुकदमे की जांच में केस डायरी और तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की। इन सभी आरोपों के कारण योगेंद्र साव विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाए थे । लेकिन फिर भी उन्होंने हजारीबाग के बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से पत्नी को चुनाव लड़ाया और जीत हासिल की। मगर बाद में उनकी पत्नी के खिलाफ भी केस दर्ज कर लिए गए । अदालती कार्यवाही के दौरान साव व उनकी पत्नी को झारखंड से बाहर रहने का हुक्म सुनाया गया। लेकिन इन मामलों की जांच रिपोर्ट आने के बाद अब कयास लगाया जा रहा है कि योगेंद्र साव को जल्द रिहा किया जा सकता है ।


उनके सर्मथक का मानना है कि साव की एक बार फिर झारखंड की राजनीति में दमदार एंट्री होगी। योगेंद्र साव जिद्दी स्वभाव के है वह शासन के दबाव के आगे जरा भी नहीं झुके। उनके खिलाफ उग्रवादी गतिविधियों को भी संरक्षण देने के भी आरोप लगे, जिसकी भी कोई पुष्टि नहीं हो पाई। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी साव ने राजनीतिक मैदान नहीं छोड़ा, वहीं विवादों से उनका पुराना नाता बना रहा। कुछ पुलिस अधिकारियों के निशाने पर रहने का खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा।

साव की पुत्री ने संभाला मोर्चा
योगेंद्र साव की पुत्री अंबा प्रसाद (Amba Prasad) झारखंड विधानसभा की युवा विधायकों में हैं। अंबा ने बिजनेस मैनेजमेंट और विधि स्नातक योगेंद्र साव की राजनीतिक विरासत को आगे लेकर चल रही है। पिता के खिलाफ चल रहे मुकदमों की अंबा ने निष्पक्ष जांच के लिए कड़ी की मश्कत्त की है। अंबा कहती हैं- मेरे पिता पूर्व मंत्री योगेंद्र साव तथा मेरी मां पूर्व विधायक निर्मला देवी सहित मेरे पूरे परिवार पर जितने भी मामले दर्ज किए गए, वे सारे पूर्वाग्रह से पीड़ित थे। पद एवं सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के इशारे पर ऐसा किया गया था।


क्राइम कंट्रोल एक्ट लगाकर जेल भेजा गया। बड़कागांव में पुलिस के गोली से घायल किसानों के द्वारा पुलिस के ऊपर न्यायालय में दर्ज कराए गए मामले में भी केस के अनुसंधानकर्ताओं ने तथ्य की भूल बताकर केस डायरी को बंद किया। इससे स्पष्ट है कि इन सारे मामलों में हमारे पूरे परिवार को फंसाया गया। अब उन पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए, जो झूठा केस दर्ज करने और केस डायरी तक बदलने के काम में शामिल थे।

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