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भारतीय महिला हॉकी टीम ने हार कर भी इतिहास के पन्नो में अपना नाम किया दर्ज

टोक्यो ओलंपिक : आज भारत के लिए ये दिन कुछ ख़ास नहीं रहा । जहां उनकी महिला हॉकी टीम कांस्य पदक मैच में ग्रेट ब्रिटेन से 4-3 से हार गई। बावजूद इसके हर तरफ महिला टीम की तारीफ हो रही है। ये पहली बार है जब भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक में पदक के लिए मैच खेला। जो अपने आप में ही इतिहास है।

भारतीय महिला टीम ने उस दिन ही इतिहास रच दिया था जब दृढ़निश्चयी भारतीय महिला हॉकी टीम ने पहली बार ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में प्रवेश किया था।तीन बार की चैंपियन और दुनिया की नंबर 2 ऑस्ट्रेलिया टीम को हराकर भारतीय महिला हॉकी टीम ने सेमी फाइनल में अपनी जगह बनाई थी।

भारत की इस जीत की कहानी लिखी थी ड्रैग-फ्लिकर गुरजीत कौर ने । जिनके एक मात्र गोल से ही टीम ने जीत हासिल की थी।इससे पहले ओलंपिक में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1980 के मास्को खेलों में देखा गया था, जहां वे छह टीमों में से चौथे स्थान पर रही थी।

अपने सेमी फाइनल मैच में भले ही टीम अर्जेंटना से 2-1 से हर गई। पर टीम कभी भी विपक्षी से कम नही लगी थी। पूरे समय भारत की टीम भी मैच में बनी रही थी।

आज का मैच भी बेहद रोमांचक था। शुरुआत में भारतीय टीम 0-2 से पिछड़ रही थी। लेकिन गुरजीत के शानदार खेल की बदौलत टीम ने बराबरी की , और फिर वंदना के गोल से टीम ने 3-2 की बढ़त बना ली। लेकिन बाद में ग्रेट ब्रिटेन ने तजुर्बा दिखाते हुए 3-4 से मैच अपने नाम किया।

मैच का परिणाम जो भी रहा हो। भारतीय महिला हॉकी टीम ने इतिहास के पन्नो में अपना नाम दर्ज करवा लिया है। उम्मीद है कि आने वाला समय टीम के लिए के पदक भी लाएगा।

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