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उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचाने के लिए वन पंचायतों की दी जाएगी प्रोत्साहन राशि

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड के वनों को आग से बचाने को लेकर वन विभाग इस वर्ष वन पंचायतों की मदद करने वाला है। इसके लिए वन विभाग प्रदेश के 12168 सदस्यों में से  109512 सदस्य जुड़े गए है।

 

 

इसके जरिए वन पंचायतें अपने अंतर्गत आने वाले वन क्षेत्र का आग से बचाव करेंगी। जिसके लिए वन विभाग की ओर से वन पंचायतों को प्रोत्साहन राशि भी भेंट की जाएगी। इस संबंध में बजट के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द शासन को भेजा जाएगा।

 

 

वन विभाग अक्सर आग की रोक के लिए  मानव संसाधन की कमी को वजह बताता रहा है। वह भी तब, जबकि राज्य में वन पंचायतों के सदस्यों के रूप में एक लाख से अधिक व्यक्तियों की फौज भी है। विषम भूगोल वाले इस राज्य के पर्वतीय क्षेत्र में पंचायती वनों के प्रबंधन एवं संरक्षण के लिए वर्ष 1932 में वन पंचायतों के गठन की शुरुआत हुई। तब से अब तक राज्य के 11 जिलों में 12168 वन पंचायतें अस्तित्व में आ चुकी हैं। इनके जिम्मे 7350.85 वर्ग किमी क्षेत्र में पसरे जंगलों के संरक्षण की जिम्मेदारी है। वन पंचायत में सरपंच समेत कुल नौ सदस्य होते हैं।

 

ग्राम वासियों की मदद से अधीन वनों की आग से सुरक्षा करने में वन पंचायतें महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जा रही है। इसके चलते ही वन विभाग ने इस विषय मे  वन पंचायतों का सक्रिय सहयोग किए जाने का विचार बनाया है। मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने बताया कि , ” पंचायती वनों के साथ ही नजदीकी आरक्षित वन क्षेत्र की आग से सुरक्षा के लिए वन पंचायतों को आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही उन्हें प्रोत्साहन राशि देने का भी प्रस्ताव है, जिसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।”

प्रदेश में वन पंचायतें

 

जिले पर वन पंचायतों की संख्या

 

पौड़ी——2450

 

अल्मोड़ा—2324

 

पिथौरागढ़—1621

 

चमोली——1509

 

टिहरी——1290

 

बागेश्वर—–822

 

चम्पावत—-652

 

रुद्रप्रयाग—-509

 

नैनीताल—-413

 

उत्तरकाशी–406

 

देहरादून—-172

 

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