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सुनील गावास्कर कैसे बनें क्रिकेट के लिटिल स्टार, पढ़ें पूरा डिटेल 

लिटिल मास्टर के नाम से प्रसिद्ध सुनील गावास्कर विश्व के दिग्गज बल्लेबाजों में से एक है. परिवारिक तौर पर इनका पूरा नाम सुनील मनोहर गावस्कर है, जोकि इनके पिता के नाम को भी समाहित किये हुए है. ये सिर्फ एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने एक सिंगल वर्ष में एक हजार से ज्यादा रन बनाए हैं और यह जादू उन्होंने चार-चार बार करके दिखाया. सुनील गावस्कर ने अपने समय में कई सारे रिकार्ड बनाए एवं पुराने रिकार्ड को तोड़ा. 34 शतक लगाकर उन्होंने डॉन ब्रैडमैन के रिकार्ड को तोड़ा था, इसके अलावा ये 10,000 से ज्यादा रन बनाने वाले एक मात्र खिलाड़ी थे.

क्रिकेट की दुनिया उन्हें अलग-अलग नामों से जानती है। लिटिल मास्टर, सनी, सनी भाई, सुनिल सर, सुनिल गावस्कर और वेस्ट इंडीज़ में ‘गावस्का’। वेस्ट इंडीज़ में तो गावस्कर आज भी इतने पॉपुलर हैं कि उनके सड़क पर निकलते ही लोग उन्हें घेर लेते हैं। गावस्कर वेस्ट इंडीज़ में आउट ही नहीं होते थे। किलिस्पो सिंर विलार्ड ने गाना गाया ‘We could’t out Gavaska at all’.उस वक़्त वेस्ट इंडीज़ की टीम में एक से एक ख़तरनाक तेज़ गेंदबाज़ थे और गावस्कर बिना हेल्मेट खेलते थे। इसकी भी एक कहानी है कि आख़िर गावस्कर हेल्मेट क्यों नहीं पहनते थे। गावस्कर ने लिखा है कि उन्हें पढ़ने की आदत थी और लेट के पढ़ने की वजह से गर्दन में हल्का दर्द रहता था। हेल्मेट पहनने से दर्द होता था और दूसरी बात जो ज़्यादा टेक्निकल है- वो मानते थे कि हेल्मेट पहन लेने से उनकी बॉडी का बैलेन्स बिगड़ता था।

चाचा के कारण गावस्कर की जिंदग़ी बदलते-बदलते बचीं

महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर अपनी बायोग्राफी ‘सनी डेज’ में एक ऐसा खुलासा करते हुए बताया कि कैसे उनकी जिंदगी बदलते-बदलते बच गई। अगर गावस्कर की जिंदग़ी में उनके तेज नजरों वाले चाचा नारायण मासूरकर नहीं होते तो वह आज क्रिकेटर की जगह कहीं मछुआरा बनके मछली मार रहे होते। दरअसल, सुनील गावस्कर के जन्म के बाद उनके रिश्तेदार और परिजन उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे थे। गावस्कर के कान के पास छोटा सा छेद था। इसे उनके चाचा नारायण मासूरकर ने देख लिया था।

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जब अगले दिन उनके के चाचा नारायण फिर अपने नन्हे भतीजे से मिलने अस्पताल आए और गावस्कर को गोद में उठाकर खिलाने लगे तो वह अचानक चौंक गए। जैसे ही उनकी नज़र अपने भतीजे यानी गावस्कर के कान पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि बच्चे के कान के पास छोटा छेद नहीं था। यानी ये बच्चा वो नहीं था जिसे वह पहले दिन खिला रहे थे। इसके बाद वे तुरंत हरकत में आए और अस्पताल प्रबंधन को इसकी सूचना दी। प्रबंधन ने पहले तो इसे गलतफ़हमी बताकर इसे बात को नकार ही दिया था, लेकिन जब नारायण ने बताया कि उन्होंने अच्छी तरह बच्चे के कान के पास छेद देखा था तो अस्पताल स्टाफ सुनील गावस्कर को ढूंढने पर राजी हुए। इसके बाद पूरे अस्पताल में नवजात बच्चों की जांच शुरू हुई और फिर देखा गया कि कान पर छेद वाला बच्चा एक मछुआरे की पत्नी के पास लेटा है। इसके बाद उनको अपनी मां के पास लाया गया।

सुनील गावास्कर घरेलू क्रिकेट

अपने पढाई के दिनों से ही सनी एक अच्छे क्रिकेटर के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे. 1966 में सुनील को भारत का बेस्ट स्कूल ब्याव का पुरस्कार मिला था. सेकेण्डरी शिक्षा के अंतिम वर्ष में दो लगातार डबल सेंचुरी लगाकर उन्होंने सबका ध्यान आकर्षित किया. 1966 में ही उन्होंने रणजी के मैंचो में अपना डेब्यू किया. कॉलेज में उनके खेल के लोग दीवाने हुआ करते थे. रणजी मैच में कर्नाटक के साथ खेलते हुए उन्होंने फिर से दोहरा शतक लगाया और चयनकर्ताओं को प्रभावित किया. 1971 के टूर के लिए उन्हें वेस्टइंडीज दौरे के लिए टीम के लिए चुना गया.

गावास्कर अर्न्तराष्ट्रीय क्रिकेट

वेस्टइंडीज के साथ खेलते हुए पहले मैच के बाद ही सुनील गावस्कर अर्न्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात हो गये. उनके खेलने की शैली ने त्तकालीन जानकारों को काफी प्रभावित किया. अपने 15 वर्ष के कैरियर में विश्व स्तर पर 34 शतक लगाये. महान सलामी बल्लेबाजों में गावस्कर ने 125 टेस्ट मैचों में 10,122 रन बनाये. वे टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाले पहले क्रिकेटर बनें, हालंकि कुछ समय बाद एलन बार्डर ने उनका रिकार्ड तोड़ दिया. लगभग 20 साल तक गावस्कर के नाम सबसे ज्यादा शतक लगाने का रिकार्ड रहा, लेकिन यह रिकार्ड 20 साल बाद मुंबई के ही सचिन तेंदुलकर ने अपने नाम कर लिया. 

क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद सुनिल गावस्कर एक टेस्ट और पांच वनडे मैचों में मैच रेफरी की भूमिका भी अदा कर चुके हैं। हालांकि, उसके बाद उन्होंने कॉमेंटेटर के रूप में क्रिकेट से जुड़े रहने का फैसला किया। सुनिल गावस्कर वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी रोहन कंहाई के बहुत बड़े फैन थे। इसलिए उन्होंने अपने बेटे का नाम रोहन गावस्कर रखा।

फैन को दे बैठे दिल

दरअसल, सुनील गावस्कर की लव स्टोरी एक फिल्मी कहानी जैसी है। यहां आपको ये बता दें कि गावस्कर को किसी सेलिब्रिटी से नहीं बल्कि, अपनी एक महिला फैन से प्यार हुआ था जिनका नाम मार्शलीन गावस्कर (Marshneil Gavaskar) है। हुआ ये कि मार्शलीन दिल्ली के श्रीराम कॉलेज में ग्रेजुएशन की पढाई कर रही थी। दोनों की पहली मुलाकात इसी साल उस वक्त हुई जब मार्शलीन एक दिन स्टेडियम में मैच देखने गई थीं। वो स्टेडियम की स्टूडेंट गैलरी में बैठकर मैच देख रही थीं, लेकिन जैसे ही उनकी नजर सुनील गावस्कर पर पड़ी तो वो उनके पास ऑटोग्राफ मांगने चली गई। वैसे मार्शलीन ने उनसे सिर्फ ऑटोग्राफ मांगा था, लेकिन गावस्कर इस पहली मुलाकात में ही उन्हें अपना दिल बैठे थे।

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