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क्रिकेट करियर में संघर्षों से जूझती आई मिताली राज कैसे बनी टीम इंडिया की कप्तान 

भले ही क्रिकेट इंडिया का नेशनल स्पोर्ट नहीं है लेकिन यह इतना फेमस है कि गली के हर कोने में कोई ना कोई बच्चा क्रिकेट खेलते ही दिखे जाएगा । लेकिन क्या गली के उन्हीं कोनों में आपने कभी लड़कियों को क्रिकेट खेलते देखा है? शायद नहीं या फिर अगर देखा भी होगा तो एक या दो लड़कियों से ज्यादा नहीं ।अब अखबार को ही ले लीजिए उसमें सिर्फ मेल क्रिकेट टीम की ही बात की जाती है । पर बीते कुछ समय से इंडिया की फीमेल महिला क्रिकेट टीम भी बहुत फेमस होती जा रही है और इसी फेमस हो रही महिला क्रिकेट टीम की एक खिलाड़ी है मिताली राज जो कि इस महिला क्रिकेट टीम की कप्तान है । पर इस मुकाम तक पहुंचना  इतना आसान तो नहीं रहा होगा । तो चलिए जाने कहानी मिताली राज की । कि कैसे वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान बनी ।    अपनी  मेहनत और साहस से दुनिया में नाम कमाया। इस होनहार लड़की ने वह कर दिखाया जिस पर लोग हंसते थे। इनकी कहानी बड़ी मोटिवेशनल है जिसे जानकर आपको एक प्रेरणा मिलेगी।

मिताली राज का जन्म 3 दिसंबर 1982 में दोराई राज और लीला राज के घर हुआ । उनके पिता दोराई राज इंडियन एयर फोर्स में एयरमैन थे और उनकी माता लीला राज एक housewife । mithali एक तमिल फैमिली से है । 

बचपन में जहाँ बाकी लड़कियाँ गुड्डे‌गुडिया से‌खेलना पसंद करती हैं वहीं मिताली को cricket खेलना पसंद था । मिताली  ने 10 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया और 17 साल की उम्र में उनका इंडियन टीम में सिलेक्शन हो गया । स्कूली दिनों में उन्होंने अपने बड़े भाई के साथ क्रिकेट कोचिंग लेना शुरू किया । स्कूल में भी वह खाली दमय‌में क्रिकेट प्रैक्टिस करती जहां वह अक्सर मेल क्रिकेटर्स के साथ खेला करती क्योंकि उस समय में इतनी लड़कियों को क्रिकेट में दिलचस्पी थी ही नहीं या फिर यह भी कह सकते हैं कि उस समय की धारणा यह थी कि क्रिकेट लड़कियों के लिए नहीं है । लेकिन मिताली राज सबकी यह धारणा बदलने वाली थी । मिताली टेस्ट क्रिकेट और वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट , दोनों में खेल चुकी है ।

मिताली राज का शुरूआती जीवन

मिथाली राज ने 10 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था और उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के लिए चुना गया. सन 1999 में मिल्टन केन्स में आयरलैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैच में उनकी शुरुआत हुई. वे हैदराबाद तेलंगाना में रहती थी. उन्होंने अपने बड़े भाई के साथ अपने सेंट जोह्न्स स्कूल हैदराबाद में ही क्रिकेट की कोचिंग शुरू कर दी थी. वहाँ वे अपनी बड़े भाई के साथ खेलती थी. उन्होंने सिकन्दराबाद के कीज़ गर्ल्स हाईस्कूल में नेट में क्रिकेट का अभ्यास किया, वहाँ वे अक्सर पुरुषों के साथ खेलती थी. इनके अलावा उन्होंने 8 साल तक शास्त्रीय नृत्य का भी अभ्यास किया, किन्तु अपने क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाने के चलते उन्होंने नृत्य करना छोड़ दिया.

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मिताली राज का करियर

मिथाली राज ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए टेस्ट और एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट दोनों खेले हैं. सन 1997 में महिला क्रिकेट विश्वकप में उन्हें केवल 14 वर्ष की उम्र में शामिल किया गया था, लेकिन ये अंतिम स्क्वाड में शामिल नहीं हो सकीं. इसके बाद सन 1999 में मिल्टन केन्स में आयललैंड के खिलाफ एक दिवसीय मैच में इन्होने नाबाद 114 रन बनाए. उन्होंने सन 2001 – 02 के सत्र में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला. 17 अगस्त 2002 में 19 वर्ष की उम्र में इन्होने अपने तीसरे टेस्ट में कैरण रोल्टन के विश्व के सबसे अधिक टेस्ट स्कोर 209* का रिकॉर्ड तोड़ दिया और इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे और आखिरी टेस्ट में टांटन के काउंटी मैदान में 214 का नया उच्च स्कोर खड़ा कर दिया. मिथाली सन 2002 में क्रिकइन्फो महिला विश्व कप में टाईफाइड हो गया जिससे भारत की प्रगति में गंभीरता आने लगी. हालाँकि सन 2005 में मिथाली ने टीम को दक्षिण अफ्रीका में अपने पहले विश्व कप में फाइनल तक पहुँचाया, जहाँ वे ऑस्ट्रेलिया टीम से मिली जोकि बहुत मजबूत टीम शाबित हुई.

अगस्त 2006 में, उन्होंने इंग्लैंड में अपनी पहली टेस्ट और सिरीज की जीत के लिए टीम का नेतृत्व किया, और एशिया कप जीतने वाले वर्ष में एक भी गेम छोड़े बिना 12 महीने महीने में दूसरी बार जीत हासिल की.

साल 1997 में विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप ( womens cricket world cup) उनके सिलेक्ट होने की संभावना थी क्योंकि उस समय उनका खेल में प्रदर्शन बहुत ही अच्छा था । उस समय वह केवल 14 साल की थी हालांकि वह फाइनल्स squad में अपनी जगह नहीं बना पाई । साल 1999 में उन्होंने पहला ओडीआई खेला जहां उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ 140 run का score बमाया ।  उनका पहला टेस्ट मैच था साल 2001 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ । 17 अगस्त साल 2002, में 19 साल की उम्र में उन्होंने तीसरा टेस्ट मैच खेला जहां उन्होंने केरन रॉयल्टन का record तोड़ा और 214 run बनाकर test match की highest run scorer बन गई । मिताली साल 2005 में हुए विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप में इंडियन womens team टीम की कप्तान बनी जहां उन्होंने टीम को फाइनल तक पहुंचाया हालांकि फाइनल में वह ऑस्ट्रेलिया से हार गई लेकिन फाइनल तक पहुंचना भी एक बड़ी सफलता थी ।

खेल जगत में mitali के लाजवाब प्रदर्शन के कारण उन्हें साल 2003 में अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया । साल 2013 विमेंस वर्ल्ड कप में राज मिताली राज ओडीआई चार्ट में नंबर वन क्रिकेटर  के स्थान पर थी । फरवरी साल 2017 में वह दूसरी ऐसी प्लेयर बनी जिन्होंने ओडीआई और T20 मे हर बार अर्धशतक लगाए और सबसे ज्यादा बार कप्तान रह चुकी हैं । मिताली ओडीआई और T20 में लीडिंग रन स्कोरर है । मिताली पहली भारतीय और विश्व की पांचवीं ऐसी विमन क्रिकेटर है जिन्होंने वर्ल्ड कप में लगभग 1000 रन बनाए हैं । उन्हें साल 2015 में पद्मश्री से नवाजा गया और साल 2017 में उन्हें यूथ स्पोर्ट्स आइकन ऑफ एक्सीलेंस अवॉर्ड फॉर स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया ।

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