
यहां जानें हॉकी क्यों है भारत का राष्ट्रीय खेल
ओलंपिक में जाकर भारतीय हॉकी खिलाड़ियों ने दिखाया शानदार प्रदर्शन
हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल कहने की एक मात्र वजह यह भी है कि सबसे पहले हमारे देश में हॉकी खेला गया था, जिस वजह से यह भारत का राष्ट्रीय खेल बन गया, क्योंकि भारतीय हॉकी खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन और उनकी जो लगातार जीत ने इस खेल को राष्ट्रीय खेल बना दिया और ओलंपिक में जाकर इसमें जो इतिहास लिखा वह किसी के द्वारा आज भुला नहीं जा सकता है।
जब भारत आजाद हुआ था तब उस समय केवल हॉकी एकमात्र ऐसा खेल था जो पूरी दुनिया में भारत को लोकप्रिय बना रहा था, पर धीरे-धीरे हॉकी जैसे खेलों से लोगों की दिलचस्पी खत्म होती गई और राष्ट्रीय खेल ना होते हुए भी क्रिकेट लोगों के बीच खूब मशहूर हो गया।
इसके पीछे एक वजह यह भी है कि हॉकी की अच्छी तरह से ब्रांडिंग नहीं हो पाई और सबसे ज्यादा ब्रांडिंग उसी खेल की होगी जिसमें सबसे ज्यादा पैसा लगाया जाएगा, लाजिम है कि लोगों उसे सबसे ज्यादा देखने को आकर्षित होंगे। आज यही वजह है कि क्रिकेट में इतना ज्यादा पैसा निवेश हो रहा है कि सभी दर्शक उस की ओर खिचते जा रहे हैं।
हम हॉकी के इतिहास से जुड़े एक और एक बात आपको बता दे कि एक मकबरे से इसके इतिहास का पता चलता है।इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि आज से लगभग 4000 साल पहले इजिप्ट में इस तरह का खेल खेला जाता था ।
लेकिन आधुनिक हॉकी के जन्मदाता इंग्लैंड को कहा जाता है, जिसकी शुरुआत 16 अप्रैल 9 1875 को लंदन के कैनल स्ट्रीट होटल में इंग्लिश हॉकी एसोसिएशन की स्थापना से हुई। इस खेल के नियम को 1883 ईस्वी में विंबलडन हॉकी क्लब द्वारा बनाया गया, जिसको 1886 में हॉकी एसोसिएशन द्वारा मान्यता दी गई।
भारत में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्यूजीलैंड के साथ हॉकी खेली थी, जिसमें कुल 21 मैच हुए थे। उसमें से अट्ठारह जीते थे और एक मैच में हार हुई थी. इसके बाद लगातार ओलंपिक खेलों में भी भारत ने हॉकी खेल का जोरदार प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और स्वर्ण पदक भी लाए। हमारे भारतीय हॉकी टीम के पास लगातार 6 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने का भी रिकॉर्ड है, पर कहा जाता है कि यह जीत का रिकॉर्ड ज्यादा समय तक कायम नहीं रही।
साल 1980 के बाद ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन थोड़ा फीका पड़ गया। उसके बाद वह किसी भी तरह के पदक को हासिल करने में असक्षम रहे थे, जहां उम्मीद की एक किरण जगी और साल 2002 में भारतीय महिला हॉकी टीम ने इंग्लैंड के साथ खेलते हुए इतिहास रचा और स्वर्ण पदक जीता था।